लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राजनेताओंए प्रत्याशियों तथा उनके मददगार एजेंटों द्वारा धर्म विशेष के नाम पर वोट मांगे जाने तथा मीडिया पर बार.बार दिखाये जाने के मामले में चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह ऐसे मामलो पर कड़ाई से अपने आदेशों का पालन कराए ।
न्यायालय ने कहा कि चुनाव आयोग को ऐसे मामलो में प्रभावी और सकारात्मक निर्णय कानून के तहत लेकर प्रकिया में लाये । न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने याची अज़मल खान की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज यह फैसला दिया ।
जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के राजनेता धर्म विशेष के आधार पर भाषण दे रहे हैं और अपील कर वोट मांग रहे है । आरोप लगाया गया था कि इन बातों को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने बढ़ चढ़ कर प्रसारित किया है।
याचिका में कहा गया है कि भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार भारत के नागरिकों को किसी धर्म विशेष का सहारा लेकर गुमराह किया जाना गलत है और यह भी कहा गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 ;3 के अनुसार भी ऐसा करने पर रोक लगाई गई है । याचिका में मांग की गई थी कि धर्म विशेष की बातों को लेकर राजनेताओं द्वारा दिए जाने वाले भाषणों पर पाबन्दी लगाई जाए तथा इनको
समाचार पत्रों और टीवी चैनलों पर भी इसे प्रसारित करने से रोका जाए । इससे आपसी वैमनस्यता बढ़ती है । अदालत ने याचिका पर सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित कर लिया था । अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग सब पर रोक लगाए ।