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पानी को लेकर मचा हाहाकार, किसानों ने की राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग

झांसी,  उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में पानी को लेकर मचे हाहाकार के बीच झांसी में किसानों ने आज राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की तथा महिलाओं ने मटके फोड़कर प्रदर्शन किया।

पानी की भयानक किल्लत से जूझ रहे सैंकडों किसानों ने बुन्देलखंड किसान पंचायत के अध्यक्ष गौरी शंकर बिदुआ के नेतृत्व में आज यहां गांधी उद्यान में अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया। धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि या तो हमें पानी दोएया इच्छामृत्युष्। इस दौरान 50 से अधिक किसानों ने इसी मांग को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। किसानों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजते हुए गहराते पेयजल संकट के बारे में अवगत कराया। किसानों की मांग है कि यदि उनकी पेयजल की समस्या दूर नहीं की जाती है तो उनकी लाशें ही घर वापस जायेंगी।

इस दौरान किसानों ने पेयजल संकट को दूर करने के साथ साथ खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था को भी चुस्त दुरूस्त करने की मांग की। इसके अलावा अन्य मांगों को पूरा करने की भी बात रखी। उनकी मांगों में पथरेई बांध में प्रभावित ग्राम इमिलिया के किसानों के बालिग परिवार को अनुकम्पा राशि का वितरण शीघ्र करानेए बबीना ब्लॉक में 25 क्यूसिक की नहर को बढ़ाकर डोमागोर रक्सा तक किया जाए ताकि सिंचाई के साधन हो सकें। इन समस्याओं को शासन.प्रशासन से दूर करने की मांग की गई।

इस मौके पर भानू साहयएराम सिंह जादौनए देवी सिंह कुशवाहाएशंकर दयालए लखन लालए वीरेन्द्र सिंह यादवए धीरेन्द्र सैनए हरीशंकर यादवए भीकम सिंहए कल्लू आर्याए दिलीप बरारए किशोरए केशवदासए मुन्नालालए कांशीरामए प्रमोदए भारत सिंह समेत सैकड़ों किसान मौजूद रहे। इसी बीचए पानी की जबरदस्त मार झेल रहीं कई महिलाएं भी खाली पानी के मटके सिर पर रखकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची और इस समस्या के समाधान की मांग की। महिलाओं ने कार्यालय में मटके फोडकर विरोध प्रदर्शन किया। जिले के कोछाभांवर में रहने वाली दर्जनों महिलाए सिर पर खाली मटके रखकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचीए जहां उन्होंने पहले तो जमकर नारेबाजी की।

इसके बाद उन्होंने ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि वह सभी महिलाए घरेलू कामगार है। दूसरों के घर में मजदूरी कर पेट पालती हैंए लेकिन पीने के पानी की जुगाड़ में अधिक समय निकल जाता हैए फिर भी पानीं नहीं मिल पाता है। कई बार तो खाली हाथ लौटना पड़ता है। इतना हीं नही सरकारी टैंकर भी उनके गांव में नहीं पहुंच रहे हैं। पानी की जुगाड़ करने के कारण वह समय पर काम करने नहीं पहुंच पा रहीं है। जिस कारण उनकी मजदूरी पर भी संकट मंडरा रहा है। इस समस्या को दूर कर उन्हें पीने का पानी उपलब्ध कराया जाये।