रायबरेली, उत्तर प्रदेश में रायबरेली के सलोन इलाके में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के मामले में एटीएस टीम द्वारा संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त आरोपियों को नोटिस जारी कर उनसे पूछताछ शुरू की गई है।
पुलिस सूत्रों से गुरुवार को मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में गैर प्रान्तों के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी करने के मामले में पुलिस के अलावा एटीएस भी सक्रिय हो गयी है। आरोपियों को नोटिस जारी कर उनसे विस्तृत पूछताछ की जा रही है।
बताया गया कि पिछले कई महीनों में हज़ारों की संख्या में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी हुए। इस फर्जीवाड़े में संदिग्ध भूमिका में पाए गए ग्राम विकास अधिकारी विजय सिंह यादव समेत जन सुविधा केंद्र के मालिक जीशान खान व उसके नाबालिग भाई सुहैल से भी प्रयागराज से आई एटीएस की टीम पूछताछ कर रही है। संभावना जताई जा रही है कि पूछताछ के बाद प्राप्त तथ्यों के आधार पर आरोपियों की गिरफ्तारी की जा सकती है।
गौरतलब है कि ग्राम विकास अधिकारी की आईडी से गैर प्रान्तों के लोगो के करीब 30 हज़ार फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए थे। मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम विकास अधिकारी विजय सिंह यादव ने कहा है कि वह, जीशान खान के जन सुविधा केंद्र से जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र का प्रिंटआउट लेता था और उसकी आईडी और पासवर्ड का जन सुविधा केंद्र के मालिक ने दुरुपयोग किया है और हज़ारों की संख्या में फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए है। साथ ही यह आशंका भी जताई है कि इस तरह से जारी जन्म प्रमाणपत्र का देश के विरुद्ध दुरुपयोग भी हो सकता है।
इस फर्जीवाड़े के मुद्दे के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद ने भी आवाज उठाई है और आज 11 बजे जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन देने जा रही है। इसके अलावा सोनिया गांधी के खिलाफ साल 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ चुके सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व भाजपाई अजय अग्रवाल ने भी मामले की जांच की मांग की है और संभावना जताई है कि इस तरह के फर्जीवाड़े से मुस्लिम आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा और आरोप लगाया है कि यहां 25 -30 हज़ारों रोहिंग्या मुस्लिम को बसाया जा सकता है साथ ही उन्होंने संभावना जताई है कि इस मामले में मुस्लिम आतंकवादी संगठन पीएफआई की भी भागीदारी हो सकती है।