भारतीय मुक्केबाजों को विश्व चैम्पियनशिप में अधिक पदकों की उम्मीद

 

हैम्बर्ग,  शिवा थापा और विकास कृष्णन की अगुवाई में भारतीय मुक्केबाज कल से यहां शुरू हो रही 19वीं विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में उतरेंगे तो उनकी नजरें पदकों का रंग और संख्या बेहतर करने पर होगी। भारत ने 2009, 2011 और 2015 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीते थे। शिवा , विकास  और अब पेशेवर हो चुके विजेंदर  ने विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीते हैं।

इस बार भारत के आठ मुक्केबाज मुकाबले में उतरे हैं जिन्होंने ताशकंद में हुई एशियाई चैम्पियनशिप के जरिये क्वालीफाई किया। टीम के स्वीडिश कोच सैंटियागो नीवा ने कहा, हमारी तैयारी शानदार रही है।एशियाई चैम्पियनशिप में हमारे लड़कों ने दो रजत और दो कांस्य जीते और तीसरे स्थान पर रहे।

मिलान में 2009 में विजेंदर के पदक के बाद से भारतीय मुक्केबाजों ने लंबा सफर तय किया है। कोच ने कहा, यह चैम्पियनशिप पिछली से अलग है। इस बार भारवर्ग में बदलाव है और पिछली बार रियो ओलंपिक खेलने वाले कई खेल को अलविदा कह चुके हैं। उम्मीद है कि इस बार एक कांस्य पदक से अधिक हमारी झोली में गिरेगा। मुक्केबाजों को भी अच्छे प्रदर्शन का यकीन है।