यूपी में कोविड प्रोटोकॉल के साथ पारंपरिक उत्साह से मनायी गयी ईद उल अजहा

झांसी, उत्तर प्रदेश के झांसी में मुस्लिम समुदाय में मनाया जाने वाला कुर्बानी का पर्व ईद उल अजहा (बकरीद) कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ बुधवार को मनाया गया।

महानगर की प्रमुख मस्जिदों मरकजी और ईदगाह के साथ साथ अन्य मस्जिदों में लोगों ने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ईद की नजाज अदा की। त्योहार पर मस्जिदों और अन्य जगहों पर भी शासन की ओर से जारी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया गया और मस्जिद में नमाज के लिए 50 ही लोगों को अनुमति दी गयी। बाकी लोगों ने घर पर ही रहकर नमाज अदा की। इस दौरान किसी प्रकार की अव्यवस्था न होने देने और शांतिपूर्ण तरीके से त्योहार संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने पहले से ही पूरी तैयारी की थी।

मस्जिदों और शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल ड्यूटी पर मुस्तैद नजर आया। पुलिस प्रशासन ने सभी एहतियाती कदम उठाये थे। एसएसपी शिवहरि मीणा के नेतृत्व में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो और सुरक्षा भी चाकचौबंद रहे।

शहर काजी साबिर अंसारी ने बताया कि बकरीद, त्याग (कुर्बानी ) का त्योहार है जो सच्चाई की राह में सब कुछ कुर्बान करने का संदेश देता है। नमाज अदा करने के बाद भेड़ , बकरी या किसी बड़े जानवर की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बान किये गये जानवर का गोश्त रिश्तेदारों, पड़ोसियों और गरीबों में बांटा जाता है। कुर्बानी का यही मतलब है कि कुर्बान किये गये जानवर का मांस गरीबों के साथ सांझा किया जाए ताकि उन्हें भी एक समय का खाना मिल सके। यह त्योहार खुशियां बांटने और गरीब तथा बेसहारा लोगों की मदद का अवसर लोगों को देता है। इस दिन मस्जिद में नमाज का विशेष महत्व है लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने 50 ही लोगों को मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति दी थी हालांकि लोगों ने महामारी के मद्देनजर मस्जिद की जगह घरों में ही नमाज अदा करना बेहतर समझा।