नयी दिल्ली, राजधानी में सात दिवसीय एक अंतरराष्ट्रीय मेगा फोटो प्रदर्शनी ‘ब्यूटीफुल लद्दाख’ का शनिवार शाम औपचारिक उद्घाटन किया गया।
इस समारोह का आयोजन राजधानी में स्थित आल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसायटी (आईफैक्स) भवन में लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह (एलएएचडीसी) की ओर से किया गया है और इसकी अंतरराष्ट्रीय मेगा फोटो प्रदर्शनी ‘ब्यूटीफुल लद्दाख’ के आयोजन में राजधानी के थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर हिमालयन एशिया स्टडीज एंड एंगेजमेंट’ (चेज) ने नॉलेज-पार्टनर के रूप में सहयोगी आयोजक की भूमिका निभायी है।
इस प्रदर्शनी में लद्दाख की कलाओं, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के साक्षी 160 से अधिक फोटो प्रदर्शित किये गये हैं। इनका प्रदर्शन आई फैक्स की सभी चार गैलरियों में किया गया है। विकास परिषद और चेज द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय फोटो प्रतियोगिता के माध्यम से इकट्ठा किये गये ये फोटो लद्दाख, देश और विदेश के लगभग 40 फोटोग्राफरों के सर्वोत्तम श्रेणी के फोटो हैं।
इस प्रदर्शनी के क्यूरेटर, चेज़ के चेयरमैन और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फोटोग्राफर विजय क्रान्ति ने कहा, ‘‘इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य लद्दाख की कलात्मक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता को फिर से रेखांकित करना है जिनके कारण यह प्रदेश दुनियाभर के फोटोग्राफरों और पर्यटकों का गंतव्य बन चुका है। शायद यह पहला अवसर है, जब इतने बड़े पैमाने पर लद्दाख की सुंदरता पेश करने वाली इतनी विशाल फोटाे प्रदर्शनी आयोजित की गयी है। हमारे इस प्रयास के कारण लद्दाख के कई नये और उदीयमान फोटोग्राफरों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला दिखाने और नया आत्मविश्वास अर्जित करने का अवसर प्राप्त हुआ है।’’
इस प्रदर्शनी में लगे पश्मीना संबंधी फोटो फोटोग्राफर विजय क्रान्ति के पश्मीना अध्ययन से लिये गये हैं।
इस प्रदर्शनी के माध्यम से कला प्रेमियों सहित अन्य दर्शकों को लद्दाख की ललित कलाओं तथा पश्मीना और लकड़ी की कलात्मक नक्काशी समेत उन सभी उत्पादों का आनंद लेने का अवसर मिलेगा, जिन्हें उनकी विशिष्ट अंतरराष्टीय पहचान के लिये इतिहास में पहली बार इस साल ‘जीआईटैग’ का सम्मान मिला है।
इस साल लद्दाख के इतिहास का सबसे पहला ‘जी आई टैग’ यहां की खुमानी की एक विशिष्ट प्रजाति ‘रिक्सेकारपो एप्रीकॉट’ को मिला है। दूसरा जीआई-टैग लद्दाख के दूरस्थ और अति ठंडे क्षेत्र चंगथांग में पायी जाने वाली बकरी ‘चांग-रा’ के पश्मीना को मिला है। लद्दाख के लिये तीसरा जीआई-टैग पाने का सम्मान यहां की कलात्मक लकड़ी की नक्काशी को मिला है। ऐसा चौथा अंतरराष्ट्रीय सम्मान पाने वाला लद्दाखी उत्पाद यहां की पहाड़ियों में उगने वाली बेर की एक विशेष प्रजाति ‘सी बकथार्न’ है। राज्य में इसका हर साल लगभग 600 टन उत्पादन होता है और देश-विदेश में इसकी बहुत भारी मांग है।
दर्शकों के लिए प्रवेश निःशुल्क है और प्रदर्शनी प्रत्येक दिन पूर्वाह्न 11 बजे से शाम सात
बजे तक खुली रहेगी।