अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे को हमेशा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उठाया जाता है और मंदिर निर्माण के लिए यहां पत्थर आने शुरू हो जाते हैं।अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को ‘राष्ट्रीय कार्य’ बताते हुए शिवसेना ने कहा कि भगवान राम के नाम पर सत्ता में आने वाले लोगों को उनका निर्वासन समाप्त करना चाहिए। पार्टी ने मांग की कि मंदिर निर्माण के लिए एक निश्चित तारीख घोषित की जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव होने वाला है। शिवसेना जानना चाहती है, ‘पिछले कई साल से चुनावों के दौरान हमलोग ऐसा माहौल देखते आ रहे हैं और एक बार फिर से देख रहे हैं। एक बार फिर अयोध्या में पत्थर लाये गये हैं और कार्यकर्ताओं ने पत्थरों को तराशना शुरू कर दिया है। अब यह प्रश्न उठता है कि उन पत्थरों का क्या हुआ जो पिछले 20-25 सालों में तराशे गये हैं।’ पार्टी ने कहा, ‘मंदिर का निर्माण जरूरी है लेकिन इसके लिए पत्थरों को लगातार तराशने की जरूरत नही है। मंदिर निर्माण की निश्चित तारीख घोषित कीजिए और इसपर अडिग रहिये।’
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि राम मंदिर का निर्माण एक राष्ट्रीय कार्य है और हम अयोध्या में राम मंदिर चाहते हैं। लेकिन हमारे भगवान राम एक निर्वासित की तरह तंबू जैसे मंदिर में रहने को बाध्य हैं। सत्ता में बैठे लोगों को भगवान राम की इस स्थिति के लिए शर्मिंदा होना चाहिए। भगवान राम के नाम पर सत्ता में आए और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके निर्वासन का दौर खत्म हो गया है।’