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रिजर्व बैंक ने दी, सार्वजनिक क्षेत्र के कमजोर बैंकों को, बेचने की सलाह

मुंबई,  रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा है कि कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों के फिर से निजीकरण का समय संभवतः आ गया है क्योंकि सरकार को फंसे कर्ज में डूबे बैंकों के लिये पूंजी जुटाने में मशक्कत करनी पड़ रही है।

उद्योग मंडल फिक्की की महिला इकाई को शुक्रवार को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा, संभवतः कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों के फिर से निजीकरण के विचार को अमल में लाने का समय आ गया है..इससे सरकार को बैंक पूंजी के रूप में जो कोष डालने की जरूरत है, उसमें कमी आएगी।

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उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कदम से सरकार के राजकोषीय अनुशासन को बनाये रखने में भी मदद मिलेगी। इसी राजकोषीय अनुशासन के साथ स्थिर मुद्रास्फीति परिदृश्य ने देश को विदेशी निवेशकों के लिये आकर्षक स्थल बनाया है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मौजूदा दबाव के समाधान के भरोसेमंद तरीकों का सुझाव देते हुए यह टिप्पणी की।

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 इन सुझावों में निजी पूंजी जुटाना, संपत्ति बिक्री, विलय, तत्काल सुधारात्मक कर्यवाही तथा विनिवेश शामिल हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के ज्यादातर बैंक 1969 से पहले निजी बैंक थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनका उस समय राष्ट्रीयकरण किया था।