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सांप काटने से हुई मौत, ४० साल बाद जिंदा मिली महिला

vilasa_devi-620x400कानपुर, 40 साल पहले कानपुर मे मर चुकी एक महिला  को छिबरामऊ के सौरिख गांव में जिंदा मिली।महिला के घर वापस लौट आने को उसके घरवाले चमत्कार मानकर ईश्वर को धन्यवाद कर रहे हैं। महिला को जीवित देखकर ग्रामीण भी हैरान हैं। 
मामला बिधनू थानाक्षेत्र के इनायतपुर गांव का हैं। यहां रहने वाली विलासा देवी को 40 साल पहले सांप ने काट लिया था। परिवार के सदस्यों ने झाड़ फूक कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और इनकी मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने इनको गंगा में प्रवाहित कर दिया। खुद विलासा के मुताबिक, एक बार वो अपने बच्चों को लेकर जमीन पर सो रही थी, तभी उनके दाहिने हाथ में सांप ने काट लिया। सांप को देखते ही बच्चों और पति को जगाया। काफी ढूंढने के बाद भी नहीं मिला। इसके बाद कुछ ही देर में बेहोश हो गई। इसके बाद इनको कुछ याद नहीं है।
गांव के बुजुर्ग छोटेलाल के मुताबिक, सांप के काटने के बाद झाड़ फूक कराने सनिया गांव ले गए थे, लेकिन उसका असर नहीं हुआ था।
39 साल पहले कोई वाहन नही चलते थे तो पैदल उनके शव को जाजमऊ के सिद्धनाथ घाट लेकर गए, लेकिन मान्यता के मुताबिक उसके शव को जलाया नहीं बल्कि गंगा प्रवाह कर दिया।
 जब आंख खुली तो वो गंगा के किनारे पर थीं। दो मछुआरों ने उठाकर एक मंदिर के पास रख दिया। यह मंदिर कन्नौज में था। उस मंदिर के पास एक मालिन थी उसी ने तीन साल तक अपने साथ रखा। विलास देवी मालिन के घर का काम कर देती थीं और बदले में मालिन उन्हें खाना-पीना और कपड़े देती थी। तीन साल बाद मालिन ने कन्नौज के तेजपुर गांव में अपने एक परिजन को उन्हें सौंप दिया। तेजपुर में विलास देवी जिस शख्स के घर पर रहती थीं उसके घर और खेत का काम करती थीं।
जब विलास देवी की मौत हुई थी तो इनके दो बेटे बहुत छोटे थे परिवार में पति कल्लू और दो बेटियां थी।  विलास देवी के बेटे अब बड़े हो चुके हैं। उनके बेटों के मुताबिक जब मां को सांप ने काटा था तो बहुत छोटा था। तब मां का प्यार नहीं मिल पाया था, लेकिन मेरी मां अब वापस आ गई है, इससे बड़ी खुशी कुछ नहीं हो सकती है।
विलास देवी के बेटे ने बताया कि इनायतपुर गांव से करीब 20 किलोमीटर दूर एक गांव है धीरपुर। उस गांव की एक यादव घर के लड़की सुमन का विवाह तेजपुर गांव में 10 साल पहले हुआ था। सुमन चुकी धीरपुर की थी इसलिए वो छज्जू और उसके बेटे मुन्नी लाल को जानती थी।  करीब 2 साल पहले जैसा की विलासा देवी ने बताया कि उसकी मुलाकात सौरिख गांव में एक लोग के यहां शादी समारोह में सुमन से हुई। पहले तो दोनों यूं ही बाते करती थी, लेकिन एक दिन विलासा ने जब सुमन से उसके मायके के बारे में पूछा तब उसने छज्जू और मुन्नी लाल की चर्चा की।  सुमन जब करीब 1 महीना पहले अपने मायके धीरपुर आकर छज्जू और मुन्नी लाल से मिलकर विलासा के बारे में बताया। इसके बाद छज्जू ने इसकी जानकारी अपनी बेटी रामकुमारी को दी और उसने राजकुमार और धर्मवीर को बताया। धर्मवीर ने बताया कि जब मां के जिंदा होने की जानकारी मिली तब हम चारों भाई और गांव के 2-4 बुजुर्ग सुमन के यहां पहुंचे।  गांव के 2 लोग मुरली और धीमन के साथ सबसे बड़े भाई राजकुमार को देखते ही मां पहचान गई, लेकिन किसी और को नहीं पहचान पाई।  रामशरण से मिलकर गांव वालों और इनके बेटो ने बात की, लेकिन वह नहीं माना।
विलासा ने बताया, मालिन ने रामशरण के यहां छोड़ने के बाद वह मुझे बहन की तरह रखता था। उसने मेरे गांव के बारे में बहुत जानने की कोशिश की, लेकिन मुझे कुछ याद नहीं था।  ऐसे में कुछ साल तक रामशरण ने खुद से प्रयास किया बाद में पुलिस को भी इनके बारे में बता दिया था।
विलासा अपने घर में आकर परिजनों के बीच बेहद खुश है। जिन बच्चों को छोटा छोड़ कर गई थी, आज सभी की शादी हो चुकी है।  आज विलासा के चारो तरफ नाती पोतो की फ़ौज है, लेकिन इन सबके बीच उनका पति कल्लू नहीं है।विलास देवी की मौत के बाद इनके पति कल्लू की भी 20 साल बाद मौत हो गई थी।

 

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