देश में बढ़ रही असहिष्णुता के मुद्दे पर लेखकों ने दिल्ली में मौन जुलूस निकाला. साहित्यकारों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर दिल्ली के श्रीराम सेंटर तक मौन जुलूस निकाला. साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ तिवारी को एक ज्ञापन भी दिया, जिसमें मांग की गई है कि वह इस आशय का एक प्रस्ताव पारित करें कि लेखकों की असहमति के अधिकार और अभिव्यक्ति की आज़ादी की सुरक्षा की जायेगी उनका कहना था कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पुरस्कार लौटाना पहला कदम था, अब मौन जुलूस निकाल रहे हैं यदि अब भी हालात नहीं बदले तो प्रदर्शन और मुखर और तेज होंगे.अब तक चालीस से ज्यादा साहित्कार अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं. कुछ ने अपने अहम सरकारी पदों से इस्तीफा दे दिया है.
वहीं दूसरी ओर आज दिल्ली में लेखकों के मौन जुलूस के समय ही साहित्य अकादमी ने एक विशेष बैठक बुलाकर डॉ एमएम कलबुर्गी की हत्या पर अफसोस जाहिर किया है. अकादमी ने डॉ कलबुर्गी और अन्य बुद्धिजीवियों की हत्याओं की कड़ी निंदा की है. भारत में बढ़ती कथित असहिष्णुता के खिलाफ साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों से साहित्य अकादमी ने अवॉर्ड वापस लेने की अपील की है. अकादमी ने सफाई दी है कि डॉ कलबुर्गी की हत्या के बाद अकादमी के अध्यक्ष ने उपाध्यक्ष से फोन पर बात कर डॉ कलबुर्गी के परिवार से संपर्क करने को कहा था.
पिछले कुछ दिनों में डॉ कलबुर्गी की हत्या के मामले में अकादमी की चुप्पी से नाराज कई लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए थे और साहित्य अकादमी में कुछ लेखकों ने अपने पदों से इस्तीफा भी दिया था.