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सीबीआई छापों के बीच, आईएएस ने पोस्ट की स्‍वरचित कविता, दिया बड़ा संदेश

नई दिल्‍ली, सीबीआई छापों के तनावों के बीच क्या कोई कविता रचने की सोंच सकता है. लेकिन इस निर्भीक अफसर ने सीबीआई छापे को चुनावी हथकंडा बताते हुए जीवन जीने का तरीका समझाया है.

सीबीआई छापों के बीच आईएएस बी. चंद्रकला ने अपने Linkedin प्रोफोइल में स्‍वरचित कविता पोस्‍ट की है. सीबीआई ने 5 जनवरी को चंद्रकला के लखनऊ स्थित घर पर करीब दो घंटे तक छापेमारी की थी. बी. चंद्रकला पर ग़लत तरीके से खनन पट्टे देने का आरोप है. वह बुलंदशहर, हमीरपुर, मथुरा, मेरठ और बिजनौर में डीएम रह चुकी हैं.

बी चंद्रकला तेलंगाना के करीमनगर जिले की रहने वाली हैं.आईएएस बनने से पहले बी चंद्रकला की शादी हो चुकी थी. शादी के बाद डिस्टेंस लर्निंग से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. इसके बाद संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में सफलता हासिल की. उन्हें उत्तर-प्रदेश का काडर मिला.  2008 की यूपी काडर आईएएस हैं.

आईएएस बी. चंद्रकला सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं. उन्होने यह कविता पोस्ट की है-

रे रंगरेज़ !  तू रंग  दे मुझको ।।

रे रंगरेज़ तू रंग दे मुझको  ,
फलक से रंग, या मुझे  रंग दे जमीं  से ,
रे रंगरेज़! तू रंग दे कहीं से ।। 

छन-छन  करती पायल से ,
जो फूटी हैं  यौवन के स्वर ;

लाल से रंग मेरी होंठ की कलियाँ,
नयनों को रंग, जैसे चमके बिजुरिया,
गाल पे हो, ज्यों  चाँदनी  बिखरी ,
माथे पर फैली  ऊषा-किरण ,

रे रंगरेज़ तू रंग दे मुझको,
यहाँ  से रंग, या मुझे रंग दे,  वहीं से  ,
रे रंगरेज़ तू रंग दे,  कहीं से  ।।

कमर को रंग, जैसे, छलकी गगरिया  ,
उर,,,उठी हो,  जैसे चढ़ती उमिरिया  ,
अंग-अंग रंग, जैसे, आसमान पर ,
घन उमर उठी हो बन, स्वर्ण नगरिया  ।।

रे रंगरेज़ ! तू रंग दे मुझको,
सांस-सांस  रंग, सांस-सांस  रख,
तुला बनी हो ज्यों , बाँके बिहरिया , 

रे रंगरेज़ ! तू रंग दे मुझको ।।

पग- रज ज्यों, गोधुली बिखरी हो,
छन-छन करती  नुपूर  बजी हो,
फाग के आग से उठती सरगम,
ज्यों मकरंद सी महक उड़ी हो ।।

रे रंगरेज़ तू रंग दे मुझको  ,
खुदा सा रंग , या मुझे रंग दे  हमीं से ,
रे रंगरेज़ तू रंग दे , कहीं से ।।

पलक हो,  जैसे  बावड़ी वीणा,
कपोल को चूमे, लट का नगीना,
तपती जमीं  सा मन को रंग दे,
रोम-रोम तेरी चाहूँ  पीना ।।

रे रंगरेज़ तू रंग दे मुझको,
बरस-बरस मैं चाहूँ जीना ।। :: बी  चंद्रकला  ,,आई ए एस ।।
,,चुनावी  छापा तो पडता रहेगा ,,लेकिन जीवन के रंग को क्यों  फीका किया जाय ,,दोस्तों  ।
आप सब से  गुजारिश है कि  मुसीबते  कैसी भी हो , जीवन की डोर को बेरंग ना छोडे ।।