नई दिल्ली, नेशनल और स्टेट हाइवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर पाबंदी से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से राज्य सरकारों ने तुरंत काट निकालते हुए स्टेट हाइवे को डिनोटिफाइ करना शुरू कर दिया। वहीं, राज्य से गुजरने वाले नेशनल हाइवे को भी डिनोटिफाइ करने की तैयारी है। हालांकि, जानकार मानते हैं कि ऐसा कदम राज्य सरकारों के लिए ही भारी पड़ सकता है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, वह कोर्ट से इस मामले में किसी तरह की नरमी बरतने की दरख्वास्त नहीं कर सकती। उसे डर है कि ऐसा करने पर उसे कोर्ट की नाराजगी का शिकार होना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कभी मंत्रालय ने खुद हाइवे के किनारे शराब की दुकानों पर बैन लगाने की वकालत की थी। शराब के नशे में होने वाले सड़क हादसों को इसका कारण बताया गया था। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने राज्य सरकारों को अक्टूबर 2007 में अडवाइजरी जारी करके नेशनल हाइवे के किनारे शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने को कहा था। इसके अलावा, यह भी कहा था कि नए लाइसेंस न दिए जाएं। वहीं, मंत्रालय की नेशनल रोड सेफ्टी काउंसिल ने जनवरी 2004 में सुझाव दिया था कि नेशनल हाइवे के किनारे शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस न दिए जाएं।
परिवहन मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अभी तक किसी राज्य सरकार ने नेशनल हाइवे को डिनोटिफाइ करने की दरख्वास्त नहीं दी है। उसे एक सांसद की ओर से खत मिला है, जिसमें दमन से गुजरने वाले नेशनल हाइवे को डिनोटिफाइ करने की दरख्वास्त की गई है। हालांकि, मंत्रालय ने उनकी इस मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की है। परिवहन मंत्रालय को लगता है कि अगर सांसद की यह मांग मान ली गई तो यह केंद्र शासित प्रदेश अपना इकलौता एनएच भी गंवा देगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बचने के लिए सड़कों को डिनोटिफाइ करने के मामले में राज्य सरकार के पास सीमित विकल्प हैं। राज्य सरकारें चाहती हैं कि उनके ज्यादा से ज्यादा स्टेट हाइवे को नेशनल हाइवे का दर्जा मिले, ताकि केंद्र सरकार के खर्च पर उसकी मरम्मत और रखरखाव हो सके। इसके अलावा, अगर वह किसी नेशनल हाइवे को डिनोटिफाइ करवाती है तो उसकी मरम्मत का खर्च भी उसे ही उठाना पड़ेगा।
जानकार मानते हैं कि किसी नेशनल हाइवे के किनारे स्थित दुकानों से जितना राजस्व मिलता है, उससे ज्यादा खर्च तो इन सड़कों की मरम्मत पर आएगा। वहीं, करीब-करीब सभी नेशनल हाइवे के किनारे शराब की दुकानें हैं, ऐसे में सभी को डिनोटिफाइ करना मुमकिन नहीं है। तय नियमों के मुताबिक, केंद्र सरकार किसी हाइवे की मरम्मत तभी करवा सकती है, जब वह नेशनल हाइवे के तौर पर नोटिफाइ हो। वहीं, अधिकतर नेशनल हाइवे को या तो चौड़ा किया जा रहा है या उन्हें किया जाना है, ऐसे में डिनोटिफाइ करते ही सारा खर्च राज्यों पर आ जाएगा।