होम्योपैथी डायबिटीज़ एवं इससे जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है
November 14, 2019
नई दिल्ली, भारत दुनिया में डायबिटीज़ कैपिटल बन गया है। बीस से सत्तर साल की उम्र के बीच के लगभग 8.7 प्रतिशत भारतीय डायबिटिक हैं, यानि भारत में 625 लाख नागरिक डायबिटीज़ पीड़ित हैं। ये आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.) ने दिए हैं।
डायबिटीज़ के इलाज के लिए होम्योपैथी मरीजों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गई है। इस बात का प्रमाण यह है कि दिल्ली/एनसीआर के सबसे पुराने एवं सबसे भरोसेमंद होम्योपैथिक क्लिनिक्स में से एक, डाॅ. कल्याण बनर्जी के क्लिनिक में प्रतिदिन डायबिटीज़ या डायबिटीज़ से संबंधित बीमारियों के लगभग 200 मामले आते हैं। इस क्लिनिक ने चार दशक से ज्यादा समय में हजारों मरीजों के इलाज के अपने अनुभव के साथ खास डायबिटीज़ मैनेजमेंट प्रोटोकाॅल्स विकसित कर लिए हैं।
डायबिटीज़ के नियंत्रण का सबसे महत्वपूर्ण चरण शुरुआती चरण होता है। जब मरीज हाल ही में खून में शुगर की रीडिंग में थोड़े से उछाल की डायग्नोसिस के साथ आता है, तो उस समय होम्योपैथी खून में शुगर की रीडिंग्स को स्थायी रूप से सामान्य कर देती है। यह फायदा शोध के अनेक अध्ययनों में सामने आया है, जिसके लिए वनज कम करने एवं आहार में कठोर संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता होती है।
डायबिटिक न्यूरोपैथी और डायबिटिक फुट अल्सर के मामलों में क्लिनिक द्वारा प्रदान किए गए इलाज से बड़ी संख्या में मरीजों के अंगों को कटने से बचाया गया है। डायबिटिक रेटिनोपैथी के मामलों में होम्योपैथिक दवाईयों द्वारा आंख में खून की आपूर्ति में सुधार हुआ है, जिसमें हजारों मरीजों ने इसके नियंत्रण के लिए पीड़ादायक प्रक्रियाओं, जैसे आंखों में इंजेक्शन से छुटकारा पाया है और उनकी दृष्टि में सुधार भी हुआ है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के मामलों में भी होम्योपैथी से मदद मिलती है। डाॅ. कल्याण बनर्जी का क्लिनिक प्रतिदिन किडनी की बीमारी के लगभग 20 मरीजों का इलाज करता है। उनके इलाज के प्रोटोकाॅल के आंतरिक विश्लेषण के अनुसार, यह पाया गया कि उनके क्लिनिक पर विकसित किए गए होम्योपैथिक इलाज के प्रोटोकाॅल किडनी की बीमारी वाले 50 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को लाभ पहुंचाते हैं। इस बीमारी के नियंत्रण के लिए पारंपरिक इलाज में कोई भी विकल्प नहीं।