प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने कहा कि राज्यपाल के आचरण से संविध्ाान सभा की उस मूल भावना को भी ठेस पहुंचती है जिसमंे राज्यपालांे की नियुक्ति जनता से चुनाव के वजाय मनोनयन से किये जाने की बात मानी गयी थी। उन्हांेने कहा कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री मंे टकराव न हो इसीलिए सूबे के इस संवैध्ाानिक पद के मनोनयन के प्रस्ताव को संविध्ाान सभा ने मंजूरी दी थी। उन्होने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यांे मंे आये दिन घटनायंे हो रही हंै लेकिन वहां के राज्यपाल ऐसे बयान नहीं दे रहे हंै।
राज्यपाल राम नाईक नाईक ने कल उरई मंे कहा था कि राज्य की कानून व्यवस्था के हालात बदतर हो गये हंै और वह इसकी रिपोर्ट केन्द्र को भेजंेगे। लोकायुक्त के चयन और विध्ाानपरिषद मंे मनोनीत होने वाले सदस्यांे को लेकर राजभवन और सपा सरकार के बीच मतभेद बरकरार है ।
प्रोफेसर राम गोपाल ने दादरी की घटना मंे राज्यपाल द्वारा कुछ नहीं बोले जाने पर भी सवाल खडा करते हुये कहा कि जैसे लगता है कि राज्यपाल किसी खास मकसद को पूरा करने के लिए पद की गरिमा के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हंै। सपा नेता ने कहा कि राज्यपाल को साम्प्रदायिक जहर घोल रहे साम्प्रदायिक संगठनांे के कार्यक्रमांे मंे नहीं जाना चाहिए। उनका आचरण राज्यपाल के वजाय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक जैसा है। उन्हांेने कहा कि कुछ लोग साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण मंे लगे हंै। यदि ऐसा नही होता तो कानपुर मंे केवल पोस्टर फाडे जाने से हिंसा न फैलती। सरकार को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। इस साजिश से सख्ती से निपटा जायेगा।