लखनऊ, कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के मकसद से उत्तर प्रदेश सरकार सौर अथवा जैव ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के इच्छुक निवेशकों को प्रोत्साहन और अनुदान देगी।
सूबे के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि मंत्रिमंडल ने ऊर्जा एवं अतिरिक्त स्रोत विभाग की दो ऊर्जा नीतियों को लागू करने का फैसला किया था। अब इन नीतियों की पूरी कार्य प्रणाली को जनसामान्य की जानकारी के लिए तथा इसका फायदा लेने के लिए लाया गया है। इन दोनों नीतियों से प्रदेश के ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहयोग मिलेगा तथा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आयेगी। इन नीतियों के लागू होने से किसानों की आय बढ़ेगी और हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी तथा रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
उन्होने बताया कि जैव ऊर्जा नीति के अंतर्गत कृषि व पशुधन अपशिष्ट, चीनी मिलों से प्रेसमड, निकायों के ठोस अपशिष्ट जैसे जैव अपशिष्टों का उपयोग कर कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लान्ट, बायो-कोल, बायो डीजल, बायो एथेनॉल की इकाईयों की स्थापना के लिए निवेश को प्रोत्साहित किया गया है।
श्री शर्मा ने कहा कि जैव ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए निवेशकों को अनुदान एवं प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसमें कम्प्रेस्ड बायो गैस उत्पादन संयंत्र के लिए 75 लाख रूपये प्रति टन की दर से, बायो कोल उत्पादन संयंत्रों के लिए 75 हजार रूपये प्रति दर से तथा बायो-डीजल उत्पादन संयंत्रों के लिए तीन लाख रूपये प्रति किलोली की दर से 20 करोड़ रूपये का अनुदान दिया जा रहा है। इसके तहत स्थापित सभी संयंत्रों को वाणिज्यिक उत्पादन प्रारम्भ होने की तिथि से 10 वर्षों तक विद्युत शुल्क में शत-प्रतिशत छूट प्रदान की जायेगी तथा भूमि अधिग्रहण पर निर्धारित स्टाम्प ड्यूटी में भी शत-प्रतिशत छूट प्रदान की जायेगी।
इसी प्रकार बायो एनर्जी संयंत्रों की स्थापना के लिए ग्रामसभा की भूमि एक रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से 30 वर्ष की अवधि के लिए पट्टे पर उपलब्ध कराई जायेगी तथा शहरी ठोस अपशिष्ट आधारित जैव ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए शहरी विकास विभाग की नीतियों के अनुसार भूमि उपलब्ध कराई जायेगी। इन नीतियों के संचालन के लिए यूपीनेडा को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इसी प्रकार स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये सरकार ने गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा दिया है जिसके लिए सौर ऊर्जा नीति-2022 लाई गई है। इसके तहत वर्ष 2026-27 तक में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से 22 हजार मेगावाट क्षमता की बिजली प्राप्त की जा सकेगी। इस नीति के तहत निवेश को प्रोत्साहित कर प्रदेश में अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क, रूफटाप पावर प्लांट्स, विकेन्द्रित सौर ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों की स्थापना, माडल सोलर सिटी का विकास तथा यूटिलिटी स्केल सोलर पावर जनरेटिंग प्रोजेक्ट की स्थापना की जायेगी।