उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ

ऋषिकेश, उत्तराखंड के ऋषिकेश में मंगलवार की भोर में जैसे ही पूर्व दिशा के आकाश में लालिमा फैली, छठ व्रतियों का उत्साह चरम पर पहुंच गया। भगवान भास्कर के स्वागत में सुहागिनों ने मंगलगीत गाने शुरू किए तो युवाओं ने आतिशबाजी कर उत्सव का माहौल बना दिया। बैंडबाजों की धुनों और आतिशबाजी की चौकाचौंध के बीच लगभग सुबह 6:28 बजे सूर्यदेव के दर्शन हुए, तो व्रतियों ने अर्घ्यदान कर चार दिवसीय छठ व्रत का समापन किया।

त्रिवेणी घाट, शीशमझाड़ी सहित आसपास के गंगा तटों पर महिलाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। पारंपरिक परिधानों में सजी सुहागिनें सुबह चार बजे से ही मंगलगीत गाते हुए समूहों में घाटों की ओर रवाना हुईं। आगे-आगे पुरुष दउरी में फल-फूल, पकवान और पूजन सामग्री लेकर चल रहे थे। घाट पर पहुंचकर महिलाओं ने दीप प्रज्वलित कर वेदिका सजाई। ‘छठ मइया के जयकारे’ से घाट गूंज उठे। सूर्योदय से पहले ही व्रती महिलाएं घुटनों तक पानी में शृंखला बनाकर खड़ी हो गईं और सूर्यदेव के उदय होते ही अर्घ्यदान कर परिवार तथा समाज के कल्याण की मंगलकामना की।

इससे पूर्व अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद कई परिवार त्रिवेणी घाट पर ही रातभर डटे रहे। महिलाओं ने पूरी रात छठ मैया के मंगल गीत गाए और पूजा की कथाएं सुनाईं। घाट पर बने पंडालों में सैकड़ों व्रती परिवारों ने भजन-कीर्तन और बिरहा मुकाबलों के बीच रात गुजारी।

भोर होते ही जैसे ही सूर्यदेव ने दर्शन दिए, व्रतियों ने अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण किया। इस प्रकार श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के वातावरण में ऋषिकेश में लोक आस्था का यह महापर्व छठ संपन्न हुआ।

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