गर्मी के आते ही मनुष्य ही नहीं वरन् पशु-पक्षी और वनस्पति सभी प्रभावित होते हैं। ठंडे देशों के लोग हमारी अपेक्षा अधिक चुस्त और फुर्तीले होते हैं जबकि हमारे यहां मनुष्य शक्ति का ह्रास होता है।
संतुलन जरूरी:- इस प्राकृतिक भिन्नता को हम बदल तो नहीं सकते, किन्तु आहार-विहार के संतुलन से एक स्वस्थ्य जीवन अवश्य व्यतीत कर सकते हैं। हम सभी मनुष्यों की दिनचर्या प्रातः जीवनपयोगी प्रत्येक कार्य को सुबह प्रारंभ करके दोपहर से पहले समाप्त कर लेना चाहिए। जल्दी भोजन, विश्राम आदि सुबह-शाम घूमना, हल्का व्यायाम और हल्की तैराकी हमारी दिनचर्या में अवश्य शामिल होनी चाहिए। प्रातः नित्य कर्म की निवृत्ति के पश्चात ठंडाई, दूध या लस्सी अथवा जौ-चने के सत्तू का मीठा घोल गर्मी में लाभप्रद रहता है।
हल्का भोजन:- दोपहर के भोजन के पश्चात कुछ देर विश्राम आवश्यक है। भोजन भूख से कम करना उत्तम रहता है। मांस व मसालेदार भोजन कभी भी हमें लाभ नहीं पहुंचाते किन्तु गर्मी में इनसे खासकर परहेज करना चाहिए। दोपहर के भोजन के पश्चात भूख लगने पर भुने चने या जौ चबाकर पानी पीना लाभप्रद होता है। रात्रि के भोजन में।रोटी, हरी शाक-भाजी, प्याज, पुदीना, धनिया की चटनी अथवा सलाद आवश्यक है। भोजन के पश्चात तुरन्त न सोकर कुछ देर टहलने के पश्चात सोने की आदत डालें। यह हमारे पाचन तंत्र को सुदृढ़ करता है। थोड़ी-बहुत मात्रा में फल इत्यादि का सेवन आवश्यक है।
फलों का सेवन:- गर्मी का विशेष फल आम रसीला कम होने के कारण देर से पचता है किन्तु छोटे बीजू आमों में रस अधिक होता है जो पाचन में लाभ पहुंचाता है। इस मौसम में आम अवश्य खा लेने चाहिए। इससे गर्मी से उत्पन्न होने वाली कई बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। वहीं खीरा, ककड़ी, तरबूज इत्यादि के सेवन से शरीर में पानी की कमी दूर होती है। गर्मी से राहत पाने के लिए लोग अत्यधिक मात्रा में बर्फ का सेवन करते हैं। इससे तत्काल राहत तो मिल जाती है पर दांतों व हाजमें को इससे नुकसान पहुंचता है। नींबू पानी, बार्ली पानी, खस या चन्दन का शरबत लाभप्रद ही नहीं, मन और मस्तिष्क दोनों को शांत भी रखता है।
ठन्डाई मन को भाई:- ग्रीष्म ऋतु में भारतीय विधि से तैयार ठंडाई अत्यंत लाभप्रद ही नहीं, सरल भी है। गुलाब, सेवती, कमल का फूल, खीरा, ककड़ी, घीया, पोस्ते का बीज कासनी, धनिया, खस, सौंफ, सफेद या काली मिर्च, छोटी इलाइची, चन्दन का बुरादा समान भाग में मिलाकर (1 तोला) पीस कर मीठा मिलाकर शरबत पीना अत्यंत लाभप्रद है। गर्मी भर इसके सेवन से शरीर का गर्म रहना, भूख न लगना, सिरशूल आदि विकारों से छुटकारा दिलाता है। हमारे देश में लू चलना एक भयानक प्रक्रिया है। इससे बचने के लिए कम-से-कम बाहर निकलना, अधिक-से-अधिक जल पीना, आम का पना पीना, सूती और खादी वस्त्रों का उपयोग ठीक रहता है।
इनसे दूर रहें:- गर्म चाय पीना तथा मदिरापान इस ऋतु में वर्जित है। क्रोध भी इस मौसम में हमारे शरीर का शत्रु है, अतः क्रोध न करके शान्त चित्त होना गर्मी में स्वास्थ्य के लिए उत्तम है। ऐसे में योग प्रत्येक ऋतु के प्रकोपों एवं मानसिक विकारों से लडने का सर्वोत्तम साधन है। यह सत्य है कि शरीरम् व्याधि मन्दिरम््य, परन्तु अपने आहार-विहार और दैविक दिनचर्या को प्रकृति के अनुसार व्यवस्थित करने पर हम गर्मी में ही नहीं वरन् प्रत्येक ऋतु में भी स्वस्थ रह सकते हैं। खान-पान का हमारे जीवन पर ही नहीं वरन् शरीर और मन पर भी अत्यंत प्रभाव पड़ता है।