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आज गोवर्धन पूजा- श्रीकृष्ण ने तोड़ा था इंद्र के घमंड को, अहसास कराया राजा नही सेवक हो..

लखनऊ, आज देश भर मे गोवर्धन पूजा है. इसे दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है. आज के ही दिन योगी श्रीकृष्ण ने इंद्र के घमंड को तोड़ा था. इसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है.

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पहले आज के दिन इंद्र की पूजा की जाती थी. लेकिन योगेश्वर श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा बंद करवाकर गोवर्धन पूजा आरंभ कराई और समाज को एक बड़ा संदेश दिया कि डर कर पूजा मत करो. उसे पूजो जो तुम्हारे लिये कल्याण कारी हो.

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मान्यता है, कि लोग अच्छी फसल के लिए इंद्रदेव की पूजा करते थे. इससे इंद्र को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया. जब कृष्ण को पता चला कि देवताओं का राजा होने से इंद्र अहंकारी होते जा रहे हैं, तब उन्होंने वृंदावन के निवासियों को समझाया कि गोवर्धन की उपजाऊ मिट्टी के कारण यहां घास उगती है और इस हरी घास को गाय व बैल चरते हैं.

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गाय हमें दूध देती है, जबकि बैल खेतों की जुताई में मदद करते हैं. जिससे फसल पैदा होती है. इसलिए इन्द्र देवता की नहीं गोवर्धन पर्वत को पूजना चाहिए. यह जानकर इन्द्र क्रोधित हो उठा और मूसलाधार बारिश कराने लगा. बारिश से सब तहस-नहस होने लगा.

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तब इन्द्र के प्रकोप से वृंदावन वासियों को बचाने के लिए, श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर उठा लिया. जिसके नीचे सभी ने शरण ली. यह बरसात लगातार सात दिनों तक चलती रही. लेकिन श्रीकृष्ण ने श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की. जिसके कारण इन्द्र देव हार गए और माफी मांगी. श्रीकृष्ण ने इंद्र को यह अहसास कराया कि वह इस जगत के राजा नहीं बल्कि सेवक हैं.

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इस त्यौहार को मनाने के लिए पहले गोधन कूटकर गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई जाती है. महिलाएं थाली में रुई की माला, चना, घरिया, मिठाई, लाई धतूरा आदि पूजा संबंधी सामग्री लेकर यहां गोधन गीत गाती हैं, फिर पूजा की परंपरा का निर्वहन करती हैं. कई तरह के खाने-पीने के प्रसाद बनाकर योगेश्वर श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाए जाते हैं. 

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