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टीबी रोगी की जानकारी न देने पर दो वर्ष की सजा, जानकारी देने वालों को प्रोत्साहन राशि

लखनऊ , क्षय रोग की रोकथाम के लिये हर मुमकिन उपाय करने में जुटी सरकार ने साफ किया है कि संक्रामक बीमारी के रोगी की जानकारी नहीं देने वाले जिम्मेदार संस्थाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। यहां तक इस मामले में दो साल तक की कैद का प्रावधान है।

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 आधिकारिक सूत्रों ने  बताया कि टीबी एक गंभीर बीमारी है। रोगियों को ठीक से उपचार न मिलने कारण रोग के दोहराने और बढ़ने का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में रोगी से सम्बन्धित सही जानकारी सरकार के पास न होने से पुर्नक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत क्षय रोगियों को निःशुल्क जांच व उपचार नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण संक्रामक रोगियों में क्षय ड्रग रजिस्टेन्स के कारण रोगियो के बढने का खतरा बढ़ रहा है।

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 जिला क्षय अधिकारी डॉ बीके सिंह ने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य परिवार एवं कल्याण मंत्रालय के निर्देशानुसार सभी स्वास्थ्य प्रदाताओं , सरकारी स्वंय सेवी संस्थाएं, प्राईवेट क्लीनिक, लैब, हॉस्पिटल, फार्मेसी कैमिस्ट एवं दवा विक्रेता के द्वारा रोगी से सम्बन्धित सारी जानकारी न देने पर दो साल की सजा हो सकती है। यह जानकारी हर सप्ताह मुख्य चिकित्सा अधिकारी औऱ जिला क्षय रोग अधिकारी अथवा प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के पास जमा करना अनिवार्य है। कार्य में लापरवाही किये जाने पर दो वर्षों तक कारावास या जुर्माना व सजा का प्राविधान भी है।

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 डा़ सिंह ने बताया कि यदि कोई भी मरीज प्राईवेट या सरकारी अस्पताल या क्लीनिक से आता है तो उसे 50 रूपये प्रति माह पोषण भत्ते के रूप में दिया जाएगा। इसके अलावा जो भी प्राइवेट डॉक्टर, क्लीनिक व फार्मेसी कैमिस्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जानकारी देगा। उसको 100 रूपये प्रोत्साहन राशि के रूप में और मरीज का इलाज पूरा कर उसे रोगी का उपचार करने वाले डॉक्टर को 500 रूपय अलग से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

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