लखनऊ, यूपी मे सरकारी कार्यक्रमों की एंकरिंग मे अफसरों की साठगांठ से चंद लोगों ने इस क्षेत्र मे अपना कब्जा जमा लिया है। और इस एंकर- अफसरों के नेक्सस के चलते हर महीने लाखों का वारा- न्यारा किया जा रहा है।
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यूपी मे मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक, सरकारी विभागों से लेकर विभिन्न परियोजनाओं के कार्यक्रमों मे आपको कुछ खास चेहरे हर कार्यक्रम मे नजर आ जायेंगे। यह देखकर आपको लगता होगा कि यूपी मे शायद ये ही दो तीन शख्सियतें हैं जिनकी आवाज मे जादू और उनमे मंच संचालन की अद्भभुत कला है।
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लेकिन यह आपका भ्रम है, सच तो यह है कि इनसे भी अच्छे तमाम एंकर राजधानी लखनऊ मे ही मौजूद हैं। लेकिन ये एंकर सूचना विभाग मे इंपैनल्ड होने के बावजूद मात्र एक कार्यक्रम पाने के लिये परेशान रहते हैं , उन्हे मौका ही नही दिया जाता है। कई प्रतिभाशाली एंकर एेसे भी हैं जिन्हे शायद महीने मे एक कार्यक्रम मिल जाये । वहीं कुछ एंकर चेहरे एेसे भी हैं जो हर दूसरे सरकारी कार्यक्रमों मे आपको एंकरिंग करते दिखायी दे जायेंगे। ये एंकर एक ही दिन मे दो-दो , तीन तीन कार्यक्रमों मे भी नजर आ जाते हैं।
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और एेसा सब कुछ संभव हो रहा है, कुछ ब्यूरोक्रेट्स की सांठ- गाठ से, हर दूसरे सरकारी कार्यक्रमों मे एंकरिंग करते नजर आने वाले चेहरों को प्रमोट करने की जिम्मेदारी इन अफसरों ने ले रखी है। किसी भी विभाग मे कोई भी कार्यक्रम फाईनल होने से पहले इन चहेते चेहरों की पैरवी ये बड़े-बड़े अफसर करने लगतें हैं। होता ये है कि इसका खामियाजा उन अच्छे एंकरों को भुगतना पड़ता है जो सिफारिश के बल पर नही अपनी प्रतिभा के बल पर काम पाना चाहतें हैं।
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दरअसल, यूपी मे सरकारी कार्यक्रमों की एंकरिंग करना अब पैसा कमाने का धंधा बन गया है। एक एंकर को एक कार्यक्रम की एंकरिंग करने के लिये दी जाने वाली सरकारी फीस बीस हजार से लेकर पचीस हजार तक है। साथ मे आने-जाने के लिये विभाग गाड़ी देता है। कहीं बाहर कार्यक्रम है तो अच्छे होटल की सुविधा भी एंकर को उपलब्ध करायी जाती है। लोकार्पण और शिलान्यास जैसे छोटे-छोटे कार्यक्रमों मे भी इन खास चेहरों की उपस्थिति रहती है और पूरी फीस वसूली जाती है। अब एेसी स्थिति मे कुछ एंकर अफसरों के साथ सांठगांठ के चलते लगातार कार्यक्रम कर लाखों बटोर रहें हैं।
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सबका साथ-सबका विकास के नारे के साथ सत्ता मे आयी योगी सरकार के दामन मे ये एंकर और उनसे जुड़े अफसर सांठ-गांठ कर दाग लगाने से नही चूक रहें हैं। सरकार चाहे अखिलेश यादव की हो या योगी आदित्यनाथ या मायावती की इन चंद एंकरों के कार्यक्रम, इंकम और प्रभाव मे कोई अंतर नही पड़ता है। अब प्रदेश सरकार को ये देखना होगा कि यूपी मे सरकारी विभागों की एंकरिंग प्रतिभाशाली एंकरों के आगे बढ़ने का या पहचान बनाने का एक जरिया बनता है या लाखों के वारे-न्यारे करने वाले चंद लोगों के हाथों मे सिमटा एक गंदा धंधा बन कर रह जाता है।
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