नैनीताल, पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों के संरक्षण के लिहाज से जारी अपने महत्वपूर्ण आदेश में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य वृक्ष संरक्षण अधिनियम काे आदेश को सख्ती से पालन करने को कहा है। अदालत ने पेड़ों में स्टीकरए बोर्ड एवं होर्डिग्स टांगने के साथ साथ तार एवं कील लगाये जाने को कानूनन जुर्म माना और इसके लिये दोनों मंडलों के आयुक्तों की जवाबदेही तय की है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने हल्द्वानी निवासी अमित खोलिया द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किये हैं। अदालत ने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाये। सभी जिलाधिकारियांं को कानून का सख्ती से अनुपालन करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने पेड़ों को सभी प्रकार के चीजों से अवमुक्त करने को कहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि शहरों एवं सड़कों के किनारे स्थित पेड़ों का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। इनमें स्टीकरए होर्डिंग्स एवं विभिन्न प्रकार के बोर्ड टांगे जा रहे हैं। होर्डिंग्स एवं बोर्ड टांगने के लिये कील एवं अन्य धारदार चीजों का उपयोग किया जा रहा है। इससे पेड़ों के विकास पर असर पड़ता है जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है।
मामले को सुनने के बाद अदालत ने दो माह के अंदर सभी पेड़ों को होर्डिंग्सए स्टीकर एवं कीलों से अवमुक्त करने के निर्देश दिये हैं। इसके लिये अदालत ने जिलाधिकारियों और दोनों मंडलों के आयुक्तों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये हैं। अदालत ने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाये।