वॉशिंगटन, अमेरिका में 2020 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान 10 में से एक से अधिक मतदाता कागज रहित मतदान मशीनों के माध्यम से मतदान करेंगे यानी उनके मत आसानी से हैक किए जा सकते हैं। एक नए विश्लेषण में यह दावा किया गया है। ‘एनवाईयू स्कूल ऑफ लॉ’ के ‘ब्रेनन सेंटर फॉर जस्टिस’ ने मंगलवार को जारी एक अध्ययन में न्यू हैम्पशायर प्राइमरी से छह महीने पहले देश में चुनाव संबंधी सुरक्षा का आकलन किया गया और निष्कर्ष निकाला कि सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में अभी काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है।
विश्लेषण में कहा गया है कि अमेरिका में 2016 में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले रूसी एजेंटों ने अमेरिका की चुनाव प्रणालियों को निशाना बनाया था जिसके बाद से राज्यों और संघीय सरकार ने काफी प्रगति की है लेकिन कई राज्य ऐसे हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम नहीं उठाए हैं कि ऐसा दोबारा नहीं हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब एक तिहाई स्थानीय चुनाव क्षेत्राधिकार ऐसी वोटिंग मशीनों का प्रयोग कर रहे हैं जो कम से कम एक दशक पुरानी हैं जबकि सिफारिश की गई थी कि उन्हें 10 साल के बाद बदला जाए।
‘एपी’ ने पिछले महीने खबर दी थी कि कई चुनाव प्रणालियां पुराने ‘विंडोज 7’ सॉफ्टवेयर पर चल रही है जो जल्द ही चलन से बाहर हो जाएगा।
‘ब्रेनन सेंटर’ के अनुमान के अनुसार करीब 12 प्रतिशत मतदान या करीब एक करोड़ 60 लाख लोग नवंबर 2020 में कागजरहित उपकरण पर मतदान देंगे। सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि कागज-आधारित प्रणालियां बेहतर सुरक्षा मुहैया कराती हैं। राष्ट्रपति पद के पिछले चुनाव में 14 राज्यों ने कागज रहित मतदान मशीनें प्रयोग की थीं और ‘ब्रेनन सेंटर’ के अनुमान के अनुसार 2020 में आठ राज्य इनका प्रयोग करेंगे।