219 कंपनियों के हजारों श्रमिकों की, 6 करोड़ की पीएफ राशि घोटाले का पर्दाफाश
July 10, 2019
नोएडा, केन्द्रीय भविष्य निधि (पीएफ) विभाग में करीब 6 करोड़ रुपए के कथित घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। विभागीय ऑडिट में इस कथित घोटाले का पता चला। बताया जा रहा है कि इस घोटाले को विभागीय साठगांठ से चंद पीएफ कंसल्टेंट तथा कंपनियों के एचआर प्रबंधकों द्वारा अंजाम दिया गया।
घोटालेबाजों ने 219 कंपनियों के हजारों श्रमिकों की 6 करोड़ रुपए की पीएफ राशि डकार ली और विभाग को कानों-कान भनक तक नहीं लगी। पीएफ विभाग के दिल्ली स्थित मुख्यालय की स्पेशल ऑडिट टीम व जोनल फ्रॉड एनालिसिस एंड मैनेजमेंट कमेटी (जेडएफएएमएन) उत्तर जोन ने नोएडा पीएफ कार्यालय में नवंबर 2017 से मई 2018 के दौरान निष्पादित श्रमिकों के ईपीएफ तथा ईपीएस की जांच की थी। जांच के दौरान इस घोटाले की जानकारी मिली।
स्पेशल ऑडिट कमेटी की 9 अप्रैल 2018 तथा जेडएफएएमसी नोर्थ जोन की 24 मई 2018 की रिपोर्ट में पाया गया कि किस तरह श्रमिकों की पीएफ की राशि फर्जी खातों में ट्रांसफर हो गई। खास बात यह देखी गयी कि एक ही खाते में कई श्रमिकों की रकम ट्रांसफर की गई। मामले की जानकारी मिलते ही पीएफ विभाग के क्षेत्रीय आयुक्त एन.के. सिंह ने इसकी शिकायत मुख्यालय में की। इस मामले में दिल्ली स्थित मुख्यालय द्वारा विभागीय जांच भी शुरू की गयी। लेकिन फर्जी बैंक खाते खोलकर जिन लोगों ने इस आपराधिक कृत्य को अंजाम दिया उनके खिलाफ नोएडा पुलिस ने विभाग की एफआईआर तक नहीं ली।
पीएफ विभाग के पैनल अधिवक्ता ने बताया कि मामले की शिकायत जिलाधिकारी तथा एसएसपी से भी की गयी लेकिन एफआईआर नहीं लिखी गई। अब पीएफ विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय के पैनल से संबद्ध अधिवक्ता डी के सिंह ने गौतमबुद्धनगर के चीफ जूडीशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में एफआईआर दर्ज करवाने की गुहार लगायी है। अदालत में दायर मामले में पीएफ विभाग द्वारा जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उसमें अभिषेक कुमार श्रीवास्तव, पंकज विश्वकर्मा, संतोष शाह समेत 184 लोगों के नाम हैं। इन लोगों ने फर्जी बैंक खाते खोलकर 219 कंपनियों के हजारों श्रमिकों के चेक उन खातों में जमा करवाकर करोड़ों रुपए की रकम डकार ली।
बैंक खातों की पड़ताल करने पर सभी खाताधारकों के नाम तथा पते की जानकारी मिली। इस गोरखधंधे का मास्टर माइंड अनिल सिन्हा नामक व्यक्ति बताया जा रहा है। नोएडा एंटरप्रन्योर्स एसोसिएशन (एनईए) के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा कि हजारों श्रमिकों का करोड़ों रुपए फर्जी तौर पर डकारने की घटना चौंकाने वाली है। इसकी निष्पक्ष जांच करायी जाए। उनका यह भी कहना है कि कुछ कंपनी मालिकों ने बताया कि पीएफ विभाग का अधिवक्ता डी के सिंह उन्हें फोन करके डरा रहा है तथा सेटलमेंट करने का दबाव डाला जा रहा है। यह अनुचित है जबकि कंपनी मालिकों की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है।
नोएडा के सेक्टर-24 स्थित भविष्य निधि के क्षेत्रीय कार्यालय के आयुक्त एन.के. सिंह ने बताया कि इस घोटाले की विस्तृत जानकारी मुख्यालय स्थित कमिश्नर को दे दी गयी। मामले की विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। लेकिन नोएडा पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न करने के कारण अब विभाग ने अदालत की शरण ली है। ताकि इस घोटाले को करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सके।