नई दिल्ली, परिवहन विभाग ने ड्राइविंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया को काफी सख्त कर दिया है। लाइसेंस जारी करने से पहले परिवहन अधिकारी आपको गाड़ी चलाते देखेंगे और एक-एक गतिविधि पर नंबर भी देंगे। इन नंबरों के आधार पर ही तय होगा कि अभ्यर्थी लाइसेंस पाने का पात्र है भी या नहीं।
अभ्यर्थी जब वाहन चलाएगा तो एक मोबाइल डिवाइस उसकी कार में लगाई जाएगी। इस डिवाइस में चालक की हर गतिविधि रिकॉर्ड होगी। परिवहन सचिव ने बताया कि गाड़ी चलाते वक्त चालक की ओर से यातायात के नियमों के प्रति संवेदनशीलता पर बारीकी से नजर रखी जाएगी। सीट बेल्ट का प्रयोग, ट्रैफिक लाइट का पालन किया या नहीं, यह भी देखा जाएगा। बैक ड्राइविंग और मोड़ पर गाड़ी किस प्रकार चलाई जा रही है, यह भी अहम पहलू है।
समानांतर और रिवर्स पार्किंग में देखा जाएगा कि चालक किस प्रकार गाड़ी पार्क करता है। वह अपने आसपास की दूसरी गाड़ियों की सुरक्षा पर कैसे ध्यान देता है। तय जगह पर पार्किंग कर भी पा रहा है कि नहीं। इसके साथ सड़क की बाधाओं से बचने के तरीके भी लाइलेंस का भविष्य तय करेंगे।
टू व्हीलर और फोर व्हीलर वालों के लिए यह टेस्ट जरूरी होगा। सवालों के डेटाबेस से लेकर टच स्क्रीन सिस्टम से कोई भी 4 रोड साइन चुने जाएंगे। उम्मीदवारों के पास 8 ऑप्शन होंगे। इनमें से 4 रोड साइन को सही जवाब के साथ मैच करना होगा। यह टेस्ट पास करने के लिए कैंडिडेट को 4 में से कम से कम 3 सवालों का सही जवाब देना होगा।
परिवहन सचिव शैलेष बगोली के अनुसार,यह पूरा टेस्ट 100 नंबर का होगा। इसमें 60 अंक हासिल करना अनिवार्य है। इससे कम अंक मिलने पर लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। अभ्यर्थी को नए सिरे आवेदन करना होगा। यह व्यवस्था देहरादून में शुरू की जा चुकी है। इसे दूसरे जिलों में भी लागू करने का प्रयास जारी है।