नयी दिल्ली , केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछले तीन साल में कितने किसानों ने आत्महत्या की है इसके आंकड़े उसके पास उपलब्ध नहीं हैं। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने आज लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 के बाद कितने किसानों के आत्महत्या की इसके आँकड़े अभी सरकार के पास उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये आँकड़े एकत्र करना राज्यों का काम है। राज्यों द्वार ये आँकड़े अब तक प्रकाशित नहीं किये गये हैं।
पूर्व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में श्री रूपाला ने कहा कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के 75,000 करोड़ रुपये के ऋण माफ किये जाने के बाद भी अगले साल वर्ष 2015 में किसान आत्महत्या के मामले बढ़े थे। साथ ही उन्होंने कहा कि ऑडिट में यह बात भी सामने आयी है कि उस कृषि ऋण माफी में कई ऐसे लोगों का कर्जा माफ कर दिया गया जो किसान थे ही नहीं।
मंत्री के जवाब पर कांग्रेस सदस्यों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि प्रश्न किसान आत्महत्या नियंत्रण का था। सराकर ने अपने पाँच पन्ने के जवाब में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के आँकड़े तो दे दिये, लेकिन किसानों की आत्महत्या के आँकड़े नहीं दिये। ऐसा में कैसे पता चलेगा कि इन पर नियंत्रण हुआ है या नहीं।