नई दिल्ली, दिल्ली पुलिस के कमिश्नर ने एक दिन पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी यह कहा था कि किसान आंदोलन के नाम पर किसानों को भड़काने की कोशिशें भी हो रही हैं। दिल्ली पुलिस ने 37 शर्तों के साथ परेड के लिए अनुमति दी थी।
दिल्ली पुलिस गणतंत्र दिवस के दिन सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देते हुए किसानों को ट्रैक्टर परेड की अनुमति नहीं दे रही थी। किसान ट्रैक्टर परेड निकालने की बात पर अड़े रहे। किसान नेता दावा करते रहे कि वे शांतिपूर्ण परेड निकाल कर देशवासियों का दिल जीतना चाहते हैं। लेकिन जब परेड निकली, तब हुआ उलट। कई जगह किसानों और जवानों के बीच झड़प हुई तो पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठी चार्ज करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने लाल किले के उस पोल पर अपना झंडा और निशान साहिब फहरा दिया।
दिल्ली पुलिस के पास यह इनपुट पहले से था भी कि किसान लाल किले पर अपना झंडा फहरा सकते हैं। दिल्ली पुलिस और एजेंसियों को भी इसका इनपुट था। दिल्ली पुलिस के कमिश्नर ने एक दिन पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी यह कहा था कि किसान आंदोलन के नाम पर किसानों को भड़काने की कोशिशें भी हो रही हैं। दिल्ली पुलिस ने 37 शर्तों के साथ परेड के लिए अनुमति दी थी। दिल्ली पुलिस इनपुट के बावजूद गच्चा खा गई और किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश की अपनी रणनीति में सफल रहे।
दिल्ली पुलिस लगातार किसानों से बात कर रही थी। पुलिस के पास इनपुट था कि कुछ किसान लाल किले पर झंडा फहरा सकते हैं। किसान, दिल्ली पुलिस से लगातार बातचीत करते रहे। आईटीओ के रास्ते किसान बड़ी संख्या में लाल किला पहुंच गए। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या किसान नेता भ्रमित करने के लिए दिल्ली पुलिस से बात करते रहे कि हम बातचीत करते रहेंगे और यह रणनीति भी बना चुके थे कि हमें क्या करना है।
हालांकि, दिल्ली पुलिस की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन यह तय है कि दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच परेड को लेकर जो सहमति बनी थी, जिन शर्तों पर सहमति बनी थी, वह टूट चुकी हैं। अब सवाल यह है कि इस उपद्रव की जिम्मेदारी कौन लेगा।
गौरतलब है कि किसानों ने सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर और अन्य बॉर्डर से दिल्ली के लिए कूच किया। तय रूट से अलग किसानों के ट्रैक्टर बैरिकेड्स तोड़ते हुए लाल किले की ओर बढ़ चले। इस दौरान पत्थरबाजी भी हुई और तलवार भी भांजी गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे। किसान नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव ने किसानों से निर्धारित रूट पर ही शांतिपूर्ण परेड की अपील की, लेकिन किसान अलग रूट से लाल किले तक पहुंच गए और लाल किले की प्राचीर से निशान साहिब और किसान संगठन का झंडा फहरा दिया।