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फारूक अब्दुल्ला पर मामला दर्ज लगा ये गंभीर आरोप

श्रीनगर,  जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर जन सुरक्षा कानून  के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन पर लगाये गये आरोपों में कहा गया है कि कश्मीर घाटी में लोक अव्यवस्था का माहौल बनाने और अपने बयानों से लोगों को सरकार के खिलाफ लामबंद करने की उनके पास ‘‘ज़बर्दस्त क्षमता’’ है।

अब्दुल्ला पर आतंकवादियों और अलगाववादियों का महिमामंडन करने वाले बयान देने के भी आरोप रहे हैं।

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श्रीनगर से लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला (81) पांच अगस्त से नजरबंद थे, जब केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था।

उन्हें पीएसए के तहत सोमवार को हिरासत में लिया गया था और उन्हें गुपकर रोड स्थित उनके आवास में रखा गया है, जिसे जेल घोषित कर दिया गया है।

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पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ जारी ‘‘पीएसए ऑर्डर’’ की प्रति पीटीआई को प्राप्त हुई है, जिसमें 2016 से लेकर सात घटनाओं का जिक्र किया गया है जब उन्होंने अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस और आतंकी संगठनों के पक्ष में बयान दिये।

अब्दुल्ला पीएसए के तहत नामजद किये जाने वाले पहले नेता हैं जो मुख्यमंत्री के पद पर रहे हैं। पीएसए सिर्फ जम्मू कश्मीर में लागू है। देश में अन्य स्थानों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लागू है, जो इस कानून के समकक्ष है।

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अधिकारियों ने बताया कि नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष एवं तीन बार मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला को पीएसए के ‘‘लोक व्यवस्था’’ प्रावधान के तहत नामजद किया गया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को बगैर मुकदमे के तीन से छह महीने तक जेल में रखा जा सकता हे।

पीएसए आर्डर में अब्दुल्ला पर सरकार के खिलाफ लोगों को लामबंद करने का आरोप भी लगाया गया है।

यह कहा गया है कि वह देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने और आतंकवादियों का महिमामंडन करने के बजाय मुद्दे पर चर्चा कर सकते थे।

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ऑर्डर में उन पर ‘‘पृथकतावादी विचाराधारा’’ को बढ़ावा देने के अलावा लोगों के जीवन एवं स्वतंत्रता के लिए खतरा पैदा करने के आरोप हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘जिले (श्रीनगर) के अंदर और घाटी के अन्य हिस्सों में लोक अव्यवस्था का माहौल बनाने की अब्दुल्ला के पास जबदरस्त क्षमता है।’’

उन पर आरोप लगाया गया है कि एक व्यक्ति के रूप में उन्हें देश के खिलाफ आम लोगों की भावनाओं को भड़काते देखा गया है।

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ऑर्डर में कहा गया है कि अब्दुल्ला के आवास ‘जी-40 गुपकर रोड’ को एक उप कारागार घोषित किया गया है। राज्य प्रशासन ने उन पर लोक

व्यवस्था में खलल डालने के मकसद से कानून से टकराव मोल लेने वाले बयान देने का आरोप लगाया है।

पीएसए में दो धाराएं हैं–‘लोक व्यवस्था’ और ‘राज्य की सुरक्षा को खतरा’। पहली धारा बगैर मुकदमे के तीन से छह महीने की हिरासत का प्रावधान करती है जबकि दूसरी धारा दो साल तक की हिरासत की इजाजत देती है।

अलगाववादियों और घाटी में अब्दुल्ला के राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें राज्य के भारत में शामिल रहने का एक प्रबल समर्थक करार दिया है।

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