श्री रिजवी ने मंगलवार को यूनीवार्ता से कहा श् इबादतगाहों पर लगे चांद सितारे वाले हरे झंडों को इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है। वास्तव में यह झंडा हिन्दू मुस्लिम के विभाजन की जिम्मेदार मुस्लिम लीग का आधिकारिक प्रतीक है जिसे बाद मे मामूली संशोधन कर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने अपना राष्ट्रीय ध्वज बना लिया। जागरूकता के अभाव में आम मुस्लिम इसे धार्मिक झंडा मानता है। श्
उन्होने कहा कि जो भी तत्व इस झंडे का प्रचार प्रसार कर रहे हैए उन पर कार्रवाई किये जाने की जरूरत है। झंडे पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक याचिका उन्होने उच्चतम न्यायालय में दाखिल की है जिस पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है।
श्री रिजवी ने कहा कि कुरान में चांद सितारे पर प्रतिबंध है। धार्मिक ग्रंथ में कहा गया है कि यह सिर्फ एक निशानी है और इसको पूजने पर प्रतिबंध है। उन्होने कहा कि वर्ष 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना हुयी थी जिसने इस झंडे को अपना आधिकारिक झंडा बनाया था जबकि 1913 में आजादी की लड़ाई को कमजोर करने के लिये मोहम्मद अली जिन्ना मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बने और यह झंडा अधिक प्रचलन में आ गया।