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दिल्ली हाट में हुआ मेघालय पाइनएपल फेस्टिवल 2023 का भव्य शुभारंभ

राष्ट्रीय, 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, मेघालय राज्य ने ‘मैग्नीफिशेंट मेघालय’ के लिए अपनी महत्वाकांक्षी योजना की रूपरेखा बयान की है। राज्य की जीडीपी को दोगुना करने की आकांक्षा रखते हुए मेघालय ने, कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों को आर्थिक विकास के मुख्य चालकों के रूप में चिह्नित किया है। इस सेक्टर के पास अगले 5 वर्षों के दौरान रोजगार के लाखों अवसर उत्पन्न करने की क्षमता मौजूद है।

मेघालय को कृषि-जलवायु संबंधी विविधतापूर्ण परिस्थितियों की नेमत मिली हुई है तथा यह ख़ूबसूरत राज्य कृषि व बागवानी उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला का ठिकाना है। पारंपरिक पद्धतियों पर आधारित, अधिकांश फसलों की खेती यहां जैविक तरीके से की जाती है। ये कारक (कृषि-जलवायु संबंधी अनुकूल परिस्थितियां, जैविक पद्धतियां और स्थानिक किस्में) मेघालय की उपज को उनकी गुणवत्ता और स्वाद के मामले में बेमिसाल बना देते हैं। लाकाडोंग हल्दी, जीआई-टैग वाली खासी मंदारिन और केव अनानास जैसे उच्च मूल्य वाले उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है, और ये यूरोपीय व मध्य-पूर्व के बाजारों में अपनी पैठ बना रहे हैं।

हाल के दिनों में, इस राज्य के अनानास काफी लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं। देश के कुल अनानास उत्पादन में उत्तर-पूर्वी राज्यों का योगदान 51.18% है, जिसमें मेघालय 7.69% (एपीईडीए 2021-22) का योगदान करता है। इसकी बदौलत इसे भारत के शीर्ष 5 अनानास उत्पादक राज्यों में से गिना जाता है।

पूरे देश के स्तर पर, मेघालय के अनानास में कीटनाशक और भारी धातु के अवशेष सबसे कम मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा, स्वाद की बात की जाए, तो वे कम खट्टे और काफी मीठे होते हैं। अनानास का ब्रिक्स मान 16-18 है, जो इस फल की मिठास को इंगित करता है। राज्य के अनानास की गुणवत्ता का पुख्ता प्रमाण यह है कि बेबी फूड में शामिल करने के लिए स्विट्जरलैंड इन्हें बड़े पैमाने पर मंगा रहा है। क्योंकि मेघालय के अनानास देश के उन दुर्लभ फलों में शुमार हैं, जो यूरोपीय बाजार के लिए निर्धारित कड़े खाद्य परीक्षण मानकों पर खरे उतरते हैं।

राज्य के अनानास उत्पादकों के लिए यह मौसम बड़ा फलदायी साबित हुआ है, क्योंकि कई किसानों को अपनी उपज सीधे बेचने के बदले कीमतों में 100% तक की वृद्धि हासिल हुई है। राज्य सरकार द्वारा मार्केटिंग में सही समय पर हस्तक्षेप किए जाने के परिणामस्वरूप, मेघालय के अनानास अब समूचे मध्य-पूर्व (अबू धाबी, शारजाह और कुवैत) में स्थित मॉल्स की शोभा बढ़ा रहे हैं।

राज्य द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप घरेलू प्रसंस्कर्ताओं और खुदरा विक्रेताओं के साथ बाजार का जुड़ाव अटूट बना रहा है। पिछले साल, यूरोपीय और उत्तर अमेरिकी बाजारों में निर्यात करने के लिए कर्नाटक स्थित एक प्रसंस्कर्ता को मेघालय से करीब 40 टन अनानास भेजे गए थे। ये अनानास उमदिहार नामक छोटे-से अनोखे गांव के एक किसान समूह द्वारा भेजे गए। यह गांव शिलांग से लगभग 50 किमी दूर री भोई जिले की पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिसमें करीब 500 लोगों का एक कुनबा बसा हुआ है। इस वर्ष, उसी प्रसंस्कर्ता ने बड़ी मात्रा में अनानास लेने के लिए, उमदिहार के इस किसान समूह की सहभागिता में एक चलित प्रसंस्करण इकाई स्थापित की है। और अपने संचालन के पहले कुछ हफ्तों में ही यह इकाई 50 टन से ज्यादा अनानास प्रसंस्कृत कर चुकी है।

प्रसंस्करण इकाइयों को एक किलोग्राम या इससे अधिक वजन वाले अनानास की आवश्यकता होती है और ये छोटे आकार के फल प्रसंस्कृत नहीं करतीं। फसल तैयार होने के मौसम में, बेचने के लिए पूरे खेतों के फल तोड़ लिए जाते हैं, लेकिन प्रसंस्करण इकाइयां केवल बड़े आकार के अनानास (ग्रेड ए) ही खरीदती हैं। इसके चलते किसानों के पास छोटे आकार के अनानास (ग्रेड बी उर्फ टेबल-किस्म) बड़ी मात्रा में बच जाते हैं। चूंकि तोड़ने के बाद फलों के पकने की गति तेज हो जाती है, इसलिए ये टेबल-किस्म के अनानास अक्सर कौड़ियों के दाम बेचने पड़ते हैं। टेबल-किस्म के इन अनानासों की मजबूरन बिक्री को थामने के लिए, राज्य सरकार सक्रिय रूप से स्थानीय खुदरा विक्रेताओं के साथ बाजार के संपर्क-सूत्र तलाश रही है। राज्य सरकार ने हाल ही में, मेघालय के टेबल-किस्म के अनानास बेचने की गरज से पूरे असम में रिलायंस रिटेल स्टोर्स के साथ संबंध स्थापित किए हैं। इस हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप किसान अब टेबल-किस्म के अनानास के लिए दो गुना से अधिक कीमत वसूलने में सक्षम हैं।

राज्य के किसानों द्वारा झेली जाने वाली चुनौतियों और समस्याओं से अवगत होने के कारण, सरकार इनका पूरा संज्ञान लेकर समुदाय-केंद्रित, जमीनी स्तर के समाधान तैयार करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करती चली आ रही है। पिछले 3 वर्षों से, सरकार का लगातार यही प्रयास रहा है कि कृषि क्षेत्र में समुदाय-आधारित बदलाव पर जोर दिया जाए। यह लक्ष्य किसानों को किसान समूह बनाने के लिए गोलबंद करके और फिर इन किसान समूहों को बलवान बनाने में निवेश करके हासिल किया जा रहा है। इन समूहों को मजबूत करने के लिए, सरकार श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, उम्दा कृषि पद्धतियों का प्रशिक्षण दिलाती है, मूल्य संवर्धन और फल तोड़ने के बाद वाले प्रबंधन के लिए बुनियादी ढाँचे का निर्माण करती है, साथ ही साथ बाजार से संपर्क की सुविधा भी प्रदान करती है।

धीरे-धीरे अब ये प्रयास फलीभूत हो रहे हैं। सरकार ने पूरे राज्य में किसान सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन करने के लिए किसानों को एकजुट करने की दिशा में काम किया है, और पिछले 3 वर्षों में ऐसे लगभग 350 समूह गठित भी हो चुके हैं। राज्य सरकार इन समूहों का हाथ थाम कर चल रही है ताकि वे बिचौलियों को हटा सकें और बेहतर उत्पादन व मार्केटिंग की ओर बढ़ सकें।

सामूहिक प्रयास, राज्य में अनानास के व्यापार का तरीका बदल रहे हैं। पहले किसान प्रति अनानास के हिसाब से बिक्री किया करते थे, हर अनानास 7 से 12 रुपये के बीच बिकता था। अनानास का वजन 600 ग्राम है या 2 किलोग्राम, इसकी परवाह किए बिना व्यापारी लोग किसानों को कोई एकमुश्त राशि पकड़ा देते थे। अब, संस्थागत व्यापार करने में सरकार का समर्थन मिल जाने से, किसान समूह ‘किलो’ में व्यापार करने की अहमियत को समझ रहे हैं। हाल के कारोबार में उनकी आय दोगुनी हो गई है, क्योंकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को अपनी उपज 16 से 24 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेच रहे हैं।

राज्य में प्राथमिक क्षेत्र की किलाबंदी करने के लिए सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं। पेरू में इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर के साथ साझेदारी करके, आलू के बीज उत्पादन और आत्मनिर्भरता के मामले में सबसे आगे रहना मेघालय का लक्ष्य है। पारंपरिक फसलों के साथ-साथ राज्य में दालचीनी, कोको, लैवेंडर, वनीला, केसर और बकव्हीट की खेती भी शुरू की जा रही है। यह राज्य खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, कोल्ड स्टोरेज और संग्रहण का बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए 50 लाख रुपये तक का अच्छा-खासा अनुदान देकर कृषि-आधारित समूहों के साथ खड़ा हुआ है। इन तमाम हस्तक्षेपों की बदौलत राज्य में कृषि मूल्य आपूर्ति श्रृंखला और ज्यादा मजबूत हुई है तथा इसके परिणामस्वरूप कई उल्लेखनीय सफलताएँ भी प्राप्त हुई हैं।

कामयाबी की ऐसी ही कहानियां लाकाडोंग हल्दी, अदरक, खासी मंदारिन, शहद और काली मिर्च जैसे उत्पादों के साथ जुड़ी हुई हैं। पिछले तीन वर्षों से, मेघालय सरकार ने कृषि में समुदाय-आधारित बदलाव लाने पर ध्यान केंद्रित कर रखा है। इसमें गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री, प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे का विकास और बाजार संपर्कों के माध्यम से किसान समूह गठित करना और उन्हें मजबूती देना शामिल है।

रिपोर्टर-आभा यादव