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सरकार के कृषि कानूनों को टालने के प्रस्ताव पर, किसान संगठनों का अहम निर्णय

नयी दिल्ली ,  संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के कृषि सुधार कानूनों को लागू करने से डेढ़ साल के लिए टालने के प्रस्ताव को गुरुवार को ठुकरा दिया।

संयुक्त किसान मोर्चा की लगभग छह घंटे तक चली बैठक के बाद सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और तीन कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग को दोहराया गया।

सरकार ने बुधवार को किसान संगठनों को कृषि सुधार कानूनों को डेढ़ साल के लिए टालने का प्रस्ताव दिया था ।

मोर्चा की बैठक से पहले पंजाब के किसान संगठनों की बैठक हुई। किसान नेताओं के अनुसार मोर्चा की बैठक के दौरान कुछ किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख अपनाने की राय व्यक्त की जबकि कुछ संगठनों ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने का यह स्वर्णिम अवसर है और किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिए। उनका कहना था कि बाद ने इतना बड़ा आंदोलन करना संभव नहीं होगा।

किसान संगठनों और सरकार के बीच कल ग्यारहवें दौर की बातचीत होने वाली है।

किसान संगठनों ने उच्चतम न्यायालय की ओर से किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए गठित समिति में भी शामिल होने से इंकार कर दिया है। इस समिति में शामिल एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने अपने को इससे अलग कर लिया था ।

समिति की आज यहां बैठक हुई जिसमे आठ राज्यों के दस किसान संगठनों ने कृषि सुधार कानूनों को प्रभवशाली ढंग से लागू करने को लेकर अपने सुझाव दिए ।

किसान संगठनों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी के आउटर रिंग रोड पर ट्रेक्टर परेड निकालने की घोषणा की है। इस संबंध में आज किसान संगठनों और पुलिस अधिकारियों के बीच बैठक हुई जिसमें कोई निर्णय नहीं हो सका। पुलिस गणतंत्र दिवस के कारण किसानों को आउटर रिंग रोड पर ट्रेक्टर परेड नहीं निकालने देना चाहती है । किसानों के साथ पुलिस अधिकारियों की भी कल बैठक होगी ।