Breaking News

वकीलों की भूमिका पर भारत के प्रधान न्यायाधीश की अहम टिप्पणी

नागपुर,  भारत के प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे ने  कहा कि अधिक कानूनी लागत न्याय तक पहुंच को बाधित करती है। उन्होंने साथ ही कहा कि वकीलों को अपनी भूमिका केवल “बहस के लिए भुगतान पाने वाले पेशेवरों” के रूप में नहीं देखनी चाहिए, बल्कि उन्हें खुद को मध्यस्थ के रूप में भी देखना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमें मुकदमे से पहले मध्यस्थता की जरूरत है।” न्यायमूर्ति बोबडे, जो नागपुर के निवासी हैं, को यहां उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक समारोह में पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढ़ा ने सम्मानित किया।

न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, “कई चीजें हैं जिनमें हमें सुधार की जरूरत है, एक है न्याय तक पहुंच… मेरे शपथ लेने के बाद, एक सवाल पत्रकारों ने मुझसे बार-बार पूछा है कि आप वकीलों द्वारा ली जाने वाली फीस के बारे में क्या करने जा रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मैंने उनसे स्पष्ट कहा कि वे क्या लेते हैं, इससे हमें कुछ भी नहीं करना है… भारत के राष्ट्रपति ने भी जोधपुर में कहा है… कि न्याय की लागत एक बाधा बन गई है।”

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “जाहिर तौर पर कोई बहुत पैसे बना रहा है तो इससे किसी को इससे शिकायत नहीं है। लेकिन कृपया करके समझिए कि जब ऐसा अदालत में होता है तो किसी की न्याय तक पहुंच बाधित हो जाती है और ये गंभीर कमी है।”