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कमजोर कहानी, लेकिन कलंक में दमदार है आलिया भट्ट-वरुण धवन की एक्टिंग

नई दिल्ली, आज मल्टी स्टार फिल्म कलंक सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. इसी के साथ मूवी लवर्स के बीच इस फिल्म को देखने का जबरदस्त क्रेज भी देखने को मिला। करण जौहर के बैनर तले बनी मल्टीस्टारर फिल्म कलंक मूवी में वरुण धवन, आलिया भट्ट, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, माधुरी दीक्षित और आदित्य रॉय कपूर अहम भूमिकाओं में हैं।

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ये एक पीरियड ड्रामा मूवी है, जिसे 1940 के बैकड्रॉप पर बनाया गया है। निर्देशक अभिषेक वर्मन की कहानी बहुत ही उलझी हुई है। फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत ही धीमा है। निर्देशक ने बंटवारे से पहले के माहौल में किरदारों को स्थापित करने में बहुत ज्यादा वक्त लगाया है। स्क्रीनप्ले बहुत ही कमजोर है, जो कहानी को बोझिल कर देता है। फिल्म के सेट्स और कॉस्ट्यूम्स की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। फिल्म को देखना किसी विजुअल ट्रीट जैसा अनुभव देता है। कई जगहों पर यह संजय लीला भंसाली की फिल्मों की याद दिलाती है।

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फिल्म के कुछ संवाद दमदार हैं, जैसे…कुछ रिश्ते कर्जों की तरह होते हैं, उन्हें निभाना नहीं चुकाना पड़ता है। निर्माता करण जौहर और निर्देशक अभिषेक वर्मन की फिल्म कलंक का यह संवाद फिल्म के निचोड़ को बयान करता है। कई जगहों पर फिल्म की लंबाई अखरती है। कहानी फ‍िल्‍म कलंक की शुरुआत होती है आजादी से पहले के पाकिस्‍तान के हुस्‍नाबाद से। देव चौधरी की पत्‍नी सत्‍या कैंसर से जूझ रही होती हैं और डॉक्‍टर कहते हैं कि वह एक साल की मेहमान हैं। अपने पति की जिंदगी में खुशियां भरने के ल‍िए सत्‍या (सोनाक्षी सिन्‍हा) रूप (आलिया भट्ट) के पिता से मिलकर एक समझौते का प्रस्‍ताव रखती हैं। समझौता ये कि रूप उनके घर आकर रहे और बदले में वह रूप की दोनों बहनों की शादी तक पूरी देखभाल करेंगी। रूप के पिता शास्‍त्रीय संगीत सिखाते हैं।

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शुरुआत में रूप को ये समझौता मंजूर नहीं होता है लेकिन अपनी बहनों के भविष्‍य के ल‍िए वह तैयार हो जाती है एक शर्त पर। शर्त ये कि वह देव चौधरी से शादी करके ही उस घर में कदम रखेगी। फिल्म में ड्रमैटिक मोड़ तब आता है जब आदित्य रॉय कपूर यानी देव कहता है कि यदि किसी की पत्नी किसी दूसरे मर्द से प्यार करे तो इस शादी का मतलब ही क्या है। यदि इस पहलू से देखें तो राइटर और डायरेक्टर अभिषेक वर्मन की यह फिल्म एक मजबूत पॉइंट सामने रखती नजर आ रही है। एक दिन रूप बहार बेगम से संगीत की शिक्षा लेने जाती है तो उसकी मुलाकात जफर से होती है। कुछ मुलाकातों के बाद दोनों के बीच प्यार पनपने लगता है, जो फिल्म के सभी किरदार की जिंदगी में ट्विस्ट लाता है। कुल मिला कर कहानी में कुछ बेहद खास नहीं है।

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वरुण धवन जफर के रोल मे दमदार लगे उनकी पॉवर पैक्ड परफॉर्मेंस सभी का दिल जीत लेगी। वहीं आलिया भट्ट की क्यूटनेस और परफॉर्मेंस बेहद शानदार देखने को मिली। अधूरे प्यार की शिकार तवायफ के रूप में माधुरी दीक्षित के रोल में दम नही लगा अब माधुरी की ऐज झलकने लगी है संजय दत्त और माधुरी दीक्षित को कई सालों बाद एक साथ परदे पर देख कर कुछ खास नही लगा। सोनाक्षी सिन्हा का रोल जबरदस्ती डाला हुआ लगा नही भी डालते तो चलता। देव के रूप में आदित्य रॉय कपूर अपनी खामोश भूमिका में प्रभाव छोड़ जाते हैं।

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कियारा अडवानी का रोल ज्यादा नहीं था लेकिन अच्छी लगी कृति सैनन का आइटम सांग ठीक रहा। कुणाल खेमू ने नफरत फैलानेवाले अब्दुल के किरदार को बखूबी निभाया है। हितेन तेजवानी ने छोटी-सी भूमिका में अच्छा काम किया है। प्रीतम के संगीत में फिल्म के गाने सभी को पसंद आ रहे हैं। शिद्दत वाले प्यार में गिरफ्तार फिल्म का हर किरदार अपने रिश्ते का कर्ज चुकाता नजर आता है, जहां उसे प्यार तो मिलता है, मगर वह पूरा नहीं हो पाता। क्यों देखें: आलिया भट्ट, वरूण धवन, कुणाल खेमू और आदित्य रॉय कपूर के अभिनय, भव्य, खूबसूरत सेट्स और कॉस्ट्यूम के लिए फिल्म देखी जा सकती है। फ़िल्म के गाने खास है।

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रिपोर्टर-आभा यादव

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