भारत समेत 101 देशों में, बदल गई किलोग्राम, एम्पियर, केलविन और मोल की परिभाषा
May 20, 2019
नयी दिल्ली , भारत समेत दुनिया के 101 देशों में सोमवार से किलोग्रामए एम्पियरए केलविन और मोल की परिभाषा बदल गयी। नाप.तौल की सात मूल इकाइयों ;एसआई इकाइयों में शामिल इन चार इकाइयों की परिभाषा आज से बदली गयी है।
इसके साथ ही सभी एसआई इकाइयों की परिभाषा प्राकृतिक स्थिरांकों पर आधारित हो गयी है। मीटर, सेकेंड और कैंडेला की इकाइयाँ पहले से ही प्राकृतिक स्थिरांकों पर आधारित थी। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् की राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाल में आज एक कार्यक्रम में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ0 आर0 चिदम्बरम् ने भारत में नयी परिभाषा अपनाने की घोषणा की।
अंतर्राष्ट्रीय नाप.तौल विज्ञान संगठन के 60 स्थायी देशों और 41 संबद्ध देशों ने 20 मई को विश्व नाप.तौल विज्ञान दिवस के मौके पर नयी परिभाषाओं को अपनाया। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ0 शेखर सी0 मांडे ने कहा यह एक ऐतिहासिक दिवस है। आज से हमने अंतर्राष्ट्रीय इकाइयों को अपना लिया है।
अब सभी एसआई इकाइयाँ सात प्राकृतिक स्थिरांकों पर आधारित होंगे। ये स्थिरांक हैं . प्लांक स्थिरांक, निर्वात में प्रकाश की गति, हाइपरफाइन ट्रांजिशन आवृत्ति,मूल चार्जए बोल्ट्जमैन कांस्टेंट, एवोगाद्रो स्थिरांक, ल्युमिनस ,फिसियेंसी। सेकेंड,मीटर और कैंडेला की परिभाषा पहले से ही प्राकृतिक स्थिरांकों पर आधारित थी।
नयी परिभाषाओं को पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् को अनुशंसा की जायेगी जिसका प्रारूप आज जारी किया गया। अभियांत्रिकी के छात्रों के पाठ्यक्रम में मापतौल इकाइयों की परिभाषा में बदलाव के लिए भी अनुशंसा का प्रारूप जारी किया गया है।
एनपीएल के निदेशक डॉ0 दिनेश कुमार असवाल ने बताया कि अभी संस्थान ने नयी परिभाषा के अनुरूप एक ग्राम का बाट तैयार करने के लिए किब्बल तराजू तैयार किया है। एक किलोग्राम का मानक वाट तैयार करने के लिए तराजू तैयार करने में तीन साल का समय लग सकता है। यह तराजू एक बड़े कमरे के आकार का होगा। डॉ0 चिदम्बरम् ने कहा अब वजन भौतिक मानकों पर नहीं मापा जायेगा। हालाँकि, इसे लागू करने में कुछ शुरुआती दिक्कत आ सकती है। हम कई अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधानों में भागीदार हैं। जब आप दूसरों को उपकरणों की आपूर्ति करते हैं उनका सटीक होना अनिवार्य है।