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जानिये क्या है सूखा कूड़ा और गीला कूड़ा : शहर बरेली

लखनऊ, क्या आप जानतें हैं कि  सूखा कूड़ा क्या है और गीला कूड़ा क्या है ? दोनों में क्या अंतर है? अगर नही तो आप स्वच्छ भारत मिशन, नगरीय द्वारा संचालित  “गंदगी से आजादी” अभियान के स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम को देखिये। शहर अयोध्या में आज अभियान के तहत ये सारी बातें विस्तार से बताई गईं।

स्वच्छ भारत मिशन, नगरीय द्वारा संचालित  “गंदगी से आजादी” अभियान के अंतर्गत आज  बरेली नगर निगम क्षेत्र के वार्ड-स्वाले नगर- वार्ड नंबर -30-में  लोक कला के माध्यम से गीले कूड़े और सूखे कूड़े के बारे में बताया गया। लोककला दल ने बताया कि कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में ही डालें। सूखे और गीले कूड़े काे अलग-अलग इकट्ठा करना जरूरी है। इसलिये गीले और सूखे कूड़े-कचरे को अलग-अलग कूड़ेदान में ही डालें। गीला कचरा रखने के लिए हरा कूड़ेदान और सूखे कूड़ा रखने के लिए नीले रंग का कूड़ेदान प्रयोग करें। 

लोक कलाकारों ने नाटक के द्वारा बताया कि लेकिन सबसे बड़ी समस्या है कि सूखा कूड़ा क्या है और गीला कूड़ा क्या है ? दोनों में क्या अंतर है? उन्होने आगे बताया कि प्लास्टिक, कांच, पन्नी , प्लास्टिक कवर बाेतलें, चिप्स टॉफी के रेपर , दूध दही के पैकेट और पॉलिथीन पैकेट, गत्ते के बॉक्स, कागज के बर्तन , पेपर कप और प्लेट आदि। धातु के कैन , रबर, थर्माकॉल, प्रसाधन सामग्रियां और बाल आदि  सूखे कूड़े में आता है । जिसे हम नीले डस्टबिन में डालतें हैं।

वहीं, रसाेई का कचरा जैसे बचा हुआ भोजन, सब्जी, फल के छिलके, उबली चाय की पत्ती, चाय कॉफी के बैग, अंडे के छिलके, चिकन अवशेष हड्डियां, सडे  फल- सब्जियां, गंदा टिशू पेपर,  पत्ते के प्लेट्स, पूजा सामग्री ,फूल राख आदि गीले कूड़े में आता है। जिसे हम नीले डस्टबिन में डालतें हैं।