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जानिये कौन हैं निर्भया के गुनाहगारों को फांसी तक पहुंचाने वाली ?

लखनऊ,  देश के बहुचर्चित निर्भया कांड के गुनाहगारों को फांसी के तख्त पर पहुंचाने वाली उच्चतम न्यायालय की वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा की उनके गांव इटावा जिले में बकेवर इलाके के उग्गरपुरा समेत समूचे उत्तर प्रदेश गौरव का अनुभव कर रहा है।

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निर्भया के दरिंदो को मौत के अंतिम पडाव तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली वकील सीमा कुशवाहा के परिजन और मुहल्ले वाले देर रात से ही टीवी से चिपके रहे । निर्भया का केस निशुल्क लड़ने वाली सीमा पर गांव के लोगों को बेहद नाज है। गांव में सीमा का परिवार माँ, तीन भाई उनका परिवार रहता है । सीमा के कार्य की सराहना उनके गांव के बच्चे बच्चे की जुबान पर है । गांव के बच्चे बुजुर्ग महिलाएं पुरुष सभी सीमा के निर्भया के दोषियों को फाॅसी के तख्ते तक पहुंचाने के काम से खुश है इसे गांव और जिले के नाम करे रोशन करना बताते है।

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सीमा के बडे भाई प्रहलाद सिंह, माॅ राम कुअंर, मझले भाई मुलायम सिंह कहते है कि वे सभी लोग गुरुवार रात्रि करीब ढाई बजे तक टीवी पर निर्भया मामले को देखते रहे । सुबह जब आरोपी दरिंदो को फाॅसी लगा देने की खबर देखी तो बेटी के कार्य पर खुशी हुई। सीमा की माॅ कहती है कि उन्हें बेटी पर तो गर्व है ही उससे अधिक निर्भया की माॅ पर गर्व है कि उसने अपनी बेटी के साथ दरिंदगी व हत्या करने वालों को फाँसी के तख्ते तक पहुंचने में हार नही मानी।

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सीमा के गांव की नेहा जो ग्यारह की छात्रा है कहती है उसको सीमा के कार्यो पर गर्व है वह भी पढकर बहुत बडी वकील बनेगी। महिला बुधादेवी कहती हैं कि उनके गांव की बेटी ने जो कार्य दरिंदगों को फांसी दिलाने में किया है वो काबिले तारीफ है। गांव की किशोरी अंजली कहती है कि उसे बहुत खुशी है सीमा के उन दरिंदगों को फांसी तक पहुंचाने में खडी रही। गांव के ही वृद्ध लखपत सिंह कहते है कि सीमा जैसी बेटी हर किसी को मिले। सीमा ने निर्भया के दरिंदो को फांसी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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दिल्ली गैंगरेप के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह साढे पांच बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। इटावा के छोटे से गांव से निकल कर सीमा ने ला की पढाई दिल्ली विश्वविद्यालय से है। हालांकि वह वकालत में आने से पहले सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थीं। 12 दिसंबर 2012 को जब दिल्ली गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था तब सीमा दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रेनिंग कर रही थीं।इस घटना की अमानवीयता से वह इतना परेशान हुईं कि उन्होंने दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने की ठानते हुए पीडिता का केस लड़ने का तय किया।

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दिल्ली गैंगरेप केस सीमा कुश्वाहा की जिंदगी का पहला केस था। 7 साल से ज्यादा समय तक चले इस केस को सीमा कुशवाहा ने निःशुल्क लड़ा। निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक में सीमा विश्वास ने दोषियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
दोषियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए चली इस लंबी लड़ाई में सीमा कुश्वाहा का पीडिता के परिवार के साथ भावनात्मक रिश्ता बन गया है। 2014 में सीमा ज्योति लीगल ट्रस्ट से भी जुड़ींए जो दुष्कर्म पीडितों के लिए मुफ्त में केस लड़ता है और उन्हें कानूनी सलाह देता है।

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