इरोड वेंकट नायकर रामासामी जिन्हे पेरियार (तमिल में अर्थ -सम्मानित व्यक्ति) नाम से भी जाना जाता था, बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता थे। इन्होंने जस्टिस पार्टी का गठन किया जिसका सिद्धान्त रुढ़िवादी हिन्दुत्व का विरोध था। भारतीय तथा विशेषकर दक्षिण भारतीय समाज के शोषित वर्ग के लोगों की स्थिति सुधारने में इनका नाम शीर्षस्थ है।
ई.वी. रामासामी तमिल राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता थे। द्रविड़ आन्दोलन को शुरू करने का श्रेय इन्हीं को जाता है| इनके समर्थक इन्हें पेरियार संबोधन से संबोधित करते थे| इन्होंने सामाजिक समानता पर बल दिया, मनुस्मृति को जलाया तथा ब्राह्मणों के बिना विवाह करवाए। इन्होंने ‘कुदी अरासु’ नामक ग्रंथ लिखा। 1930 ई. में ईश्वर विरोधी समिति के निमंत्रण पर वे रूस गए तथा लौटने के बाद वे काँग्रेस से अलग हो गए एवं द्रविड़ मुनेत्र कडगम की स्थापना की।
ई.वी. रामासामी का मत था कि “ईश्वर को धूर्तों ने बनाया, गुंडों ने चलाया और मूर्ख उसे पूजते हैं” पेरियार की मात्रभाषा कन्नड़ थी, लेकिन तमिल और तेलुगु पर भी उन्हें खासा अधिकार था। बचपन से ही वे अपने परिवार में वैष्णव संतों के उपदेश और प्रवचन सुनते आये थे, और धर्म के आधार पर होने वाले शोषण और भेदभाव के मूल कारणों को उन धार्मिक सिद्धांतों में उन्होंने बहुत पहले ही ढूंढ निकाला था। पेरियार बहुत ही तार्किक थे वे हर धार्मिक उपदेश पर तर्क के द्वारा प्रहार कर उसे खंडित करते।पेरियार जीवन भर सामाजिक और धार्मिक बुराइयों के खिलाफ लड़ते रहे।