जयगुरूदेव मेले मे उमड़ा आस्था का महासमुद्र, हजारों स्वयंसेवक संभाल रहे व्यवस्था
December 10, 2019
मथुरा, उत्तर प्रदेश की कान्हानगरी मथुरा में जयगुरूदेव नामयोग साधना मंदिर के निकट आयोजित करोड़ी मेले में आस्था का समुद्र उमड़ पड़ा है और बिना सरकारी तामझाम के सारी व्यवस्थाएं निर्विघ्न सम्पन्न हो रही हैं।
मेले की शुरूआत ब्रह्नलीन संत बाबा जयगुरूदेव ने सात दशक पहले अपने गुरू स्वामी घूरेलाल महराज की श्रद्धा में आध्यात्मिक सत्संग से शुरू की थी लेकिन इस संत के चमत्कारों से इस सत्संग में लोग जुड़ते गए और आज यह न केवल मेले का रूप ले चुका है बल्कि करोड़ी मेला इस प्रकार बन गया है कि चार दिसम्बर से शुरू हुए इस मेले में जयगुरूदेव नामयोग साधना मंदिर के चारो तरफ सिर ही सिर दिखाई पड़ रहे हैं जो बाबा जयगुरूदेव के शिष्य हैं।
नेशनल हाई वे (एनएच 2) पर हर साल बाबा के अनुयायी चार बार एकत्र होते हैं तथा हर बार कम से कम लक्खी मेले का स्वरूप बन जाता है।आगरा जानेवाले पर्यटकों को मेला स्थल से निकलने में होने वाली परेशानी को देखते हुए हाई वे एथारिटी आफ इन्डिया ने अब इस स्थान पर फ्लाईओवर बना दिया है।
लगभग दस वर्ग किमीे परिधि में लगे मेले की सारी व्यवस्थाएं बाबा जयगुरूदेव के अनुयायियों द्वारा ही की जाती हैं। जयगुरूदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के प्रवक्ता एवं महामंत्री बाबूराम यादव ने बताया कि यह मेला जहां अन्य लोगों के लिए मेला है वहीं बाबा जयगुरूदेव के अनुयायियों के लिए यह एक तीर्थस्थल है तथा इसी कारण इस वार्षिक मेले में बाबा के अनुयायियों का समुद्र जुड़ जाता है। 31 सेक्टर में बंटे इस मेले में बाबा के अनुयायियों के ठहरने आदि के लिए 1500 छोलदारी एवं 1000 स्टोर टेन्ट लगाकर विशेष व्यवस्था की गई है।
श्री यादव ने बताया कि मेले में भोजन की व्यस्था 200 भंडारों द्वारा की गई है जो जिलेवार लगे हुए हैं। जिन जिलों में अनुयायियों की संख्या अधिक है उनमें तहसील के अनुसार अतिरिक्त भंडारे लगाए गए हैं। दूर के प्रदेशों के अनुयायियों के लिए प्रदेशानुसार भंडारे लगाए गए हैं।
प्रशिक्षित एवं अनुभवी हजारों स्वयंसेवकों को यातायात, पार्किंग , सुरक्षा, तथा अन्य विभिन्न व्यवस्थाओं में लगाया गया है। पूजन में अधिक भीड़ होने के कारण शिफ्टवार 500 से अधिक स्वयंसेवक लगाए गए हैं। पूरे मेले में जलापूर्ति करने के लिए बड़े बड़े टैंकर लगाए गए है तो मेलास्थल बिजली की रोशनी से जगमगा रहा है। हर सेक्टर में जिले की तरफ से निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्था की गई है।
इसके अलावा हजारों अनुयायी अपनी व्यवस्था स्वयं कर रहे हैं। वे अपने साथ लकड़ी या स्टोव आदि तक लाते हैं तथा चार लकड़ियों से खुले मैदान में चादर तानकर परिवार के छोटे छोटे बच्चों तक को इनमें सुलाते हैं और स्वयं ही खाना भी बनाते हैं।
लखीमपुर खीरी की रंजना अपने दो बच्चों के साथ इसी प्रकार की व्यवस्था कर मेले में भाग ले रही हैं। उनका कहना था कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके बच्चों को ठंड नही लगेगी और गुरू महराज उनकी ठंड से रक्षा करेंगे। गोंडा के राम खेलावन, दौसा के मोहना और ग्वालियर के रामेश्वर का कहना था कि उन्हें तम्बुओं में जगह न मिल पाने से किसी प्रकार की शिकायत नही है क्योंकि वे तो अपने गुरू महराज से आशीर्वाद लेने यहां आए हैं तो परीक्षितगढ़ के शिक्षक गिरजाशंकर का कहना था कि वे इस मेले के माध्यम से अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए आए हैं।
मेला प्रभारी चरन सिंह ने बताया कि मेले में दिन की शुरूवात तड़के छह बजे गुरूवन्दना सें होती है। इसके बाद डेढ़ घंटे तक सुमिरन, ध्यान, भजन एवं साधना का अभ्यास चलता है।इसके बाद पंकज महराज तथा अन्य उपदेशकों द्वारा प्रवचन का क्रम चलता है। यह मेला बुराइयों का परित्याग करने के लिए आयोजित किया जाता है यही ब्रम्हलीन संत बाबा जयगुरूदेव का संदेश है।
उन्होंने बताया कि दहेजरहित विवाह मेले का दूसरा आकर्षण है। अब तक 150 से अधिक दहेजरहित विवाह इस बार हो चुके हैं। यह मेला पुनर्जागरण का मेला है जिसमें सत्संग आदि के माध्यम से वैचारिक परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है । अपरान्ह 2 धंटे के पंकज महराज के प्रवचन में बुराइयों को छोड़ने का विशेष संदेश दिया जाता है।
मेला प्रबंधक संतराम चौधरी के अनुसार सर्व धर्म समभाव की शिक्षा देता जयगुरूदेव नामयोग साधना मंदिर वास्तव में बुराइयों को छोड़ने की शिक्षा देता है तथा मंदिर में मोटे मोटे अक्षरों में लिखा है कि शराब पीनेवाले, मांस, मछली या अंडा खानेवाले दानपेटी में पैसा न डालें। कुल मिलाकर इस मेले में आनेवाला हर अनुयायी जब यहां से लौटकर जाता है तो वह अति प्रफुल्लित होत है क्योंकि वह अपने साथ अच्छाइयों का खजाना लेकर जाता है।