लखनऊ, उत्तर प्रदेश के सूचना आयोग ने एक बार फिर सख्त रुख अख्तियार करते हुए सूबे के नगर विकास विभाग के सबसे बड़े अधिकारी के कार्यालय के पेंच कस दिए हैं l
एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी द्वारा माँगी गई सूचना नहीं देने पर सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने प्रमुख सचिव नगर विकास कार्यालय के जन सूचना अधिकारी पर 25 हज़ार रुपयों का अर्थदंड लगाया है l सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने लखनऊ के जिलाधिकारी और वरिष्ठ कोषाधिकारी के साथ-साथ सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को संयुक्त रूप से यह जिम्मेदारी दी है कि ये तीनों अधिकारी 25 हज़ार रुपयों के जुर्माने की बसूली प्रमुख सचिव नगर विकास कार्यालय के जन सूचना अधिकारी के वेतन से कराकर जुरमाना-बसूली की आख्या उनके सामने प्रस्तुत करें l
तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने साल 2019 के दिसम्बर महीने में प्रमुख सचिव नगर विकास कार्यालय के जन सूचना अधिकारी से 7 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l बकौल तनवीर जब 30 दिन में उनको कोई भी सूचना नहीं दी गई तो उन्होंने इस साल के जनवरी महीने में सूचना आयोग में सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 18 के तहत शिकायत दे दी l
आयोग ने तनवीर की शिकायत को दर्ज करके इस साल के जून महीने में प्रमुख सचिव नगर विकास कार्यालय के जन सूचना अधिकारी को नोटिस भेजते हुए जुलाई महीने में पहली और नवम्बर महीने में दूसरी सुनवाई की लेकिन प्रमुख सचिव नगर विकास कार्यालय के जन सूचना अधिकारी ने न तो तनवीर को कोई सूचना दी और न ही जन सूचना अधिकारी आयोग की सुनवाइयों में ही आये l इस प्रकार आयोग द्वारा पर्याप्त अवसर दिए जाने पर भी आरटीआई एक्ट की सूचनाएं नहीं देने और आयोग के आदेशों की बार-बार अवहेलना करने पर सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने जन सूचना आधिकारी को दोषी करार दिया और बीते 01 दिसम्बर को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20(1) के तहत 25 हज़ार रुपयों का जुरमाना ठोंक दिया है और जुर्माना बसूली का भी लिखित आदेश पारित किया है l
तनवीर ने बताया कि वे सूचना आयुक्त को अर्जी देकर प्रमुख सचिव नगर विकास कार्यालय के जन सूचना अधिकारी के खिलाफ सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20(2) के तहत विभागीय दंडात्मक कार्यवाही का आदेश पारित करने की मांग करेंगे l