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बेटे के इलाज के लिये किसान पीएम से लगा रहा गुहार, इलाज का खर्च जानकर हो जायेंगे हैरान

इटावा , दो लाख बच्चो में से एक को होने वाली अनुवांशिक बीमारी ष्म्यूकोपाली सेककराइड टाईप-2 ;हन्टर सिंड्रोम  से उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के सरैया गांव का एक मासूम के पीड़ित हो जाने से उसके परिजन अवसाद में है।

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सरैया गांव निवासी किसान जगत सिंह का छह साल का मासूम बेटा देव अनुवांशिक बीमारी म्कोयूपाली सेककराइड टाईप-2, हन्टर सिंड्रोम से ग्रसित है। उसे इलाज के लिये एक करोड़ 92 लाख 77 हज़ार 648 रुपये की दरकार है। अखिल भारतीय आयुविर्ज्ञान संस्थान  के डाक्टरों की ओर से मासूम देव के इलाज के लिए अनुमानित खर्च से संबधित दस्तावेजो दिये गये है उनमें एक करोड़ 92 लाख 77 हज़ार 648 रुपये की दरकार की गई है।

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भर्थना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डां0 अमित दीक्षित ने बताया कि म्यूकोपाली सेककराइड टाईप.2 ;हन्टर सिंड्रोम नामक बीमारी से ग्रसित मासूम देव का सोमवार को परीक्षण किया गया जिसमें उसमें इस बीमारी के लक्षण पाये गये है । इस बीमारी में ओठ मोटे हो जाते है। हाथों पैरों की हडिडयॉ भी ढेडी हो जाती है। इस बीमारी से किडनी भी खराब हो जाती है ।

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उन्होने बताया कि यह बीमारी अनुवाशिंक बीमारियों में सुमार है। बेहद ही कम बच्चों में यह बीमारी होती है। अभी तक इस बीमारी की केस हिस्ट्री के मुताबिक दो लाख लोगों में से किसी एक को यह बीमारी होती है । इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के शरीर मे एन्जाइम का उदगम बंद हो जाता है । एम्स के डाक्टरो ने परीक्षण के बाद उसके परिजनो को उसके इलाज के लिए जो स्टीमेट दिया वह बहुत ही मंहगा है क्यों कि दवा के रूप मे यह एक वैक्सीन है । इस बीमारी का इलाज एन्जाइम रिपलेसमेंट थैरपी के माध्यम से किया जाता है । यह वैक्सीन बंगलौर मे उपलब्ध होती है ।

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किसान जगत सिंह का मासूम बेटा देव बिस्तर पर पड़ा हुआ । वह सरकारी मदद की आस लगाये हुए है । पिछले दो साल से मासूम के पिता के खेत सिर्फ यह जानने मे बिक गई कि उनके बेटे देव को आखिर कौन सी बीमारी है । देश के कई हिस्सों में इलाज कराने के बाद आखिर अखिल भारतीय आयुविर्ज्ञान संस्थान नई दिल्ली के बालरोग चिकित्सा विभाग की सहायक आचार्य डा0 नीरजा गुप्ता ने इस दुलर्भ बीमारी की पुष्टि की है । उन्होने देव के पिता जगत सिंह को दिये पत्र मे इस बात को माना कि देव अति दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी से ग्रसित है और इंडिया में इस बीमारी से लड़ने के लिए अभी दवा ही विकसित नही हुई है ।

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अभी तक केवल अमेरिका और कोरिया में ही इसकी वैक्सीन बनी है। वैक्सीन हमेशा के लिए नही सिर्फ एक साल या ज्यादा से ज्यादा पांच साल तक काम करता है और इसकी कीमत एक करोड़ 92 लाख 77 हज़ार 648 रुपये है । जिसके चलते जगतराम अपने बेटे को वापिस इटावा लेकर आ गया और इसके बाद एम्स की उस रिपोर्ट के साथ जगतराम ने मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक से गुहार लगाई है। हालांकि मुख्यमंत्री कोष से पांच लाख रुपये स्वीकृत हो गये है। जगत सिंह को पांच लाख की ज़रूरत नही बल्कि उस वैक्सीन इंजेक्शन की ज़रूरत है जिसके न मिलने से उसका बेटा धीरे धीरे उससे दूर जा रहा है ।

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