निर्भया गैंगरेप केस मे आया नया पेंच, टंगा डेथ वारंट
February 13, 2020
नई दिल्ली, निर्भया गैंगरेप केस मे नया पेंच आ गया है. निर्भया गैंग रेप और हत्या के चारों गुनाहगारों का डेथ वारंट फिलहाल टंग गया है.
निर्भया गैंग रेप और हत्या के चारों गुनाहगारों को अलग-अलग फांसी पर लटकाए जाने की मांग वाली केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट दोषी विनय शर्मा की राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के खिलाफ याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन की तरफ से बहस करने के लिए पूर्व जज और वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश को एमिकस नियुक्त किया है. कल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अंतिम बहस सुनेगा. कोर्ट ने दोषियों को जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय और दिया है.
सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने फांसी की सजा पर अमल यानी एक्जीक्यूशन की मंजूरी मांगी. वकील वृंदा ग्रोवर ने मुकेश की ओर से दलील दी. उन्होंने कहा कि अभी कुछ कानूनी बिंदु हैं जिन पर स्पष्टता नहीं है. ग्रोवर ने कहा कि हमें जवाब देने को वक्त मिले. ट्रायल कोर्ट में सुनवाई थी. अक्षय और विनय की ओर से वकील एपी सिंह हैं.
कोर्ट ने पूर्व एएसजी रावल से पूछा कि क्या वे कोर्ट की मदद कर सकते हैं? पवन के पास वकील नहीं है, क्या वे उसकी वकालत करेंगे? इस पर रावल ने असमर्थता जताई. संजय हेगड़े ने भी मना किया. तुषार मेहता और वृंदा ग्रोवर ने अंजना प्रकाश का नाम सुझाया तो कोर्ट ने गौरव अग्रवाल से भी सम्पर्क करने को कहा. कल दो बजे फिर सुनवाई होगी.
विनय की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की. एपी सिंह ने विनय की ओर से कहा कि विनय को अपने बचाव का पूरा मौका नहीं मिल पा रहा है. दस्तावेज कोई देख नहीं रहा. सरकार जानकारी छुपा रही है. कोर्ट ने कहा समुचित ग्राउंड लाएं. सुप्रीम कोर्ट ने वकील एपी सिंह को फटकार लगाते हुए कहा कि आप केवल लॉ पॉइंट पर बात करें. जस्टिस बानुमति ने कहा कि पहली अपील के अनुसार आप बहस मत करें. कोर्ट ने एपी सिंह से कहा कि साफ-साफ शब्दों में अपनी बात कहें. जस्टिस बानुमति ने कहा कि दया याचिका सुनना कोर्ट का काम नहीं. आप सीधे और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात रखें.
एपी सिंह ने कहा कि मैं कानून का छात्र हूं. मैं परिपूर्ण नहीं हूं. मैं प्रैक्टिशनर हूं, परफेक्ट नहीं. विनय शर्मा का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. कोई आदतन अपराधी नहीं है, खेती करने वाले परिवार से है. मेरी दलीलें कोर्ट के लैंडमार्क जजमेंट पर आधारित हैं. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि आप ये सब बताने के बजाय सीधे-सीधे अपनी अन्य दलीलें और ग्राउंड बताएं. कोर्ट ने जेल फाइल की डिटेल मांगी तो सिंह ने कहा फाइल इज देयर (स्टेट की ओर इशारा करते हुए), माई लार्ड्स आर देयर (बेंच की ओर इशारा करते हुए) एंड आई एम हियर… मेरे पास कहां है फाइल? फिर सिंह याचिका पढ़ने में जुट गए.
एपी सिंह ने कहा कि मेरे क्लाइंट को जेल प्रशासन द्वारा कई बार मानसिक अस्पताल में भेजा गया. उसको इस बाबत दवाइयां भी दी गईं. जेल मैन्युअल के मुताबिक भी किसी को मानसिक अस्पताल तभी भेजा जाता है जब उसकी मानसिक हालत सही न हो. सिंह ने डिप्रेशन की दवाओं के नाम भी बताए. उन्होंने कहा कि UNGA घोषणापत्र और हमारे कानून के मुताबिक भी मानसिक बीमारी के शिकार कैदी को सजा ए मौत नहीं दी जा सकती. हम तो वसुधैव कुटुम्बकम के मानने वाले और मानवता के हिमायती हैं. WHO और रेड क्रॉस के मुताबिक भी भारतीय जेलों में क्षमता से कई गुना अधिक भीड़ है.
स्वास्थ्य सेवाएं लचर हैं. कोर्ट ने पॉइंट पर आने को कहा तो सिंह ने कहा कि मैंने सारी रात जागकर याचिका तैयार की है. ये सब मैंने ब्रह्म मुहूर्त में लिखा है. सुन लें प्लीज!
एपी सिंह ने कहा कि इतनी सारी दया याचिकाएं राष्ट्रपति के पास कतार में लंबित हैं. लेकिन मेरे मुवक्किल की दया याचिका छांटकर सबसे पहले निपटाई गई. पिक एंड चूज कर इसे सबसे पहले डिसमिस किया गया, क्यों? एपी सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति ने इस मामले को लेकर पिक एंड चूज के जरिए इस मामले का फैसला किया. सिंह ने नेताओ के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी या अरविंद केजरीवाल हों, सभी ने निर्भया केस को लेकर बयान दिए. इन लोगों ने अपने क्षेत्रों मे हो रहे अपराधों को छोड़कर सिर्फ निर्भया को लेकर बयान दिए. सिंह ने कहा कि विनय मेंटल ट्रामा से गुजर रहा है. उसके साथ मानसिक प्रताड़ना की वजह से वह मानसिक रूप से बीमार है. मेंटल कैपिसिटी एक्ट के आधार पर बता रहे हैं कि उसे कॉउंसलिंग और सोशल सपोर्ट दिया जाना चाहिए. जेल मैन्युअल रूल के अनुसार उसे ऐसी स्थिति में क्या-क्या सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए.
एपी सिंह ने कहा कि इन चारों के प्रति पूरा प्रशासन और गणतंत्र, जनतंत्र पक्षपातपूर्ण है. हमारी दया याचिका दायर किए जाने के 48 घंटे के भीतर खारिज कर दी गई. इतनी भी क्या हड़बड़ी थी? जस्टिस हरीड, जस्टिस बरीड… कुछ दलीलें सिंह ने बीमारी और लाचारी की दीं तो जस्टिस भूषण ने याद दिलाया कि ये सब आप पहले भी कह चुके हैं. अपराध का वर्गीकरण किया गया पहले जुवेनाइल के आधार पर फिर रामसिंह को घेरा. ये नहीं होना चाहिए.
सरकार की ओर से एसजी तुषार मेहता ने बहस की. विनय की मानसिक स्थिति खराब होने की एपी सिंह की दलीलों को तुषार मेहता ने सिरे से खारिज किया. मेहता ने कहा कि इन सभी का जेल में रेगुलर मेडिकल चेकअप होता रहा है. जेल में मानसिक रोग सहित सारे विशेषज्ञ होते हैं और समय-समय पर जांच होती रहती है. मेहता ने कहा कि दया याचिका के साथ दोषियों की लेटेस्ट मानसिक जांच रिपोर्ट भी राष्ट्रपति के सामने रखी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने विनय की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा. शुक्रवार को दोपहर दो बजे फैसला सुनाया जाएगा.