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अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सीट न मिलने पर रेलवे को अवमानना का नोटिस…

लखनऊ, पूर्वोत्तर रेलवे के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को ट्रेन में वीआईपी कोटा न मिलने पर  मजिस्ट्रेट ने रेलवे के मंडल वाणिज्य प्रबंधक के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर दिया है। मजिस्ट्रेट ने नोटिस में इसे दंडनीय अपराध बताते हुए अधिकारी को स्पष्टीकरण के साथ तलब करने का आदेश दिया है।

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 अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रेलवे कैलाश कुमार के वैयक्तिक सहायक की ओर से ट्रेन 15054 में इमरजेंसी कोटे के लिए आवेदन किया गया था। ट्रेन के चार्ट बनने के बाद जब कोटा नहीं हुआ तो रेलवे मजिस्ट्रेट के वैयक्तिक सहायक सुधीर श्रीवास्तव ने रेलवे के मंडल वाणिज्य प्रबंधक देवानंद यादव से फोन कर के कोटा न दिए जाने का कारण पूछा। इस पर रेलवे अधिकारी ने मजिस्ट्रेट की ओर से जारी फार्म पर उनके हस्ताक्षर न होने की वजह से कोटा न दिए जाने की बात कहीं।

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 इस पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने रेलवे के मंडल वाणिज्य प्रबंधक के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर दिया। मजिस्ट्रेट ने नोटिस में इसे दंडनीय अपराध बताते हुए अधिकारी को स्पष्टीकरण के साथ तलब करने का आदेश दिया। मजिस्ट्रेट ने कहा कि न्यायालय के वैयक्तिक सहायक व प्रस्तुतकार को इमरजेंसी कोटा फार्म पर हस्ताक्षर करने हेतु अधिकृत किया गया है लेकिन, 25 अप्रैल को मनमाना रवैया अपनाते हुए पीएनआर पर कोटा नहीं दिया गया।

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 मंडल वाणिज्य प्रबंधक देवानंद यादव ने भी नोटिस का जवाब दिया। उन्होंने  जवाब में कहा कि वह भारतीय संविधान में पूर्ण निष्ठा रखते हैं। भारतीय न्यायिक व्यवस्था में तथा माननीय न्यायालय की ओर से जारी आदेश का पूर्णत: सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि वह मंडल रेल कार्यालय में टेंडर ओपनिंग व अन्य अत्यावश्यक प्रशासनिक कार्य में व्यस्तता के कारण नोटिस में दिए गए समय के अनुसार न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सके। इसलिए उन्होंने न्यायालय द्वारा मांगी गई कोटा आवेदन की रिपोर्ट देने के लिए दो सप्ताह का समय मांगते हुए उप स्टेशन अधीक्षक/वाणिज्य व अन्य कर्मचारियों को शाम 4 बजकर 5 मिनट पर न्यायालय में भेजा था। वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना चाहते थे, लेकिन वैयक्तिक सहायक ने निवेदन स्वीकार नहीं किया। उन्होने दो सप्ताह का समय मांगा है।

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 डीआरएम विजय लक्ष्मी कौशिक ने भी बताया कि मंडल वाणिज्य प्रबंधक ने कोर्ट से समय मांगा है। इमरजेंसी कोटे को लेकर ब्योरा एकत्र किया जा रहा है। कोर्ट की अवमानना कतई नहीं होगी। अधिकारियों ने रेलवे मजिस्ट्रेट से इस मामले में बात भी की है।

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