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राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने सीआरपीएफ को ‘शौर्य दिवस’ की बधाई दी

नयी दिल्ली, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने देश के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को ‘शौर्य दिवस’ पर बधाई दी है।

श्री कोविंद ने अपने संदेश में कहा है, “ देश की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के शूरवीरों ने अपने पराक्रम और राष्ट्रभक्ति से 9 अप्रैल 1965 को गुजरात की सरदार पोस्ट पर स्वर्णिम इतिहास लिखा था। उस असामान्य वीरता और बलिदान के स्मरण में मनाए जाने वाले ‘शौर्य दिवस’ की सभी को बधाई व शहीदों को श्रद्धांजलि।”

श्री मोदी ने अपने टि्वट संदेश में लिखा है , “ सीआरपीएफ के साहस से सभी परिचित हैं। आज सीआरपीएफ के ‘शौर्य दिवस’ पर में इस साहसी बल को सलाम करता हूं और गुजरात की सरदार पटेल चौकी पर 1965 में बल के रणबांकुरों के बलिदान का स्मरण करता हूं। इन साहसी शूरवीरों के बलिदान और शाहदत को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

श्री शाह ने अपने संदेश में कहा है, “ 09 अप्रैल 1965 को गुजरात के रण(कच्छ) में स्थित ‘सरदार पोस्ट’ पर

सीआरपीएफ की एक छोटी सी टुकड़ी ने अपने से कई गुना अधिक संख्या वाली हमलावर दुश्मन फौज को हरा कर इतिहास रचा था। अदम्य साहस, वीरता और बलिदान के प्रतीक सीआरपीएफ ‘शौर्य दिवस’ की सभी को बधाई व हमारे वीर शहीदों को नमन।”

वर्ष 1965 में आज के ही दिन पाकिस्तानी सीमा से लगे हुए भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान सेना ने ‘डेज़र्ट हॉक ऑपरेशन’ चलाया था। गुजरात के कच्छ क्षेत्र में सरदार एवं टॉक पोस्टों पर सीआरपीएफ की द्वितीय वाहिनी की दो कम्पनियां तैनात थी। तड़के साढे तीन बजे पाकिस्तानी सेना की पूरी इन्फेन्ट्री ब्रिगेड ने सरदार और टॉक चौकियों पर हमला कर दिया था।

दोनों के बीच 12 घंटे तक भीषण समर चलता रहा और सीआरपीएफ के जवानों ने विशाल ब्रिगेड की का डट कर मुकाबला कर उसे भारत की सीमा से वापस खदेड़ दिया। इस युद्ध में सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तानी सेना के 34 जवानों को मार गिराया तथा 4 को जिंदा गिरफ्तार किया। इस युद्ध में सीआरपीएफ के 6 जवानों ने निडरता से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी और इतिहास में अमर हुए।

यह दुनिया के इतिहास में हुए अनेक युद्धों में से एकमात्र ऐसा युद्ध था जिसमें पुलिस बल की एक छोटी सी टुकड़ी ने दुश्मन की विशाल ब्रिगेड को घुटने टेक वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। सीआरपीएफ के जवानों द्वारा दिखाई गई इस बहादुरी को हमेशा याद करने के लिए 9 अप्रैल का दिन शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।