लखनऊ , उत्तर प्रदेश में गोंडा के वजीरगंज क्षेत्र के कोडर गांव में स्थित ऐतिहासिक धरोहर महायोगी महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली आज भी विकास की बाट जोह रही है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को योग शिविरों के माध्यम से सरकार तथा पतंजलि योग पीठ योग करवाती है। योग प्रेरणाश्रोत पतंजलि की जन्मस्थली को पर्यटन स्थल घोषित कर संसार के मानचित्र पर दर्शाने की पिछले 20 वर्षों की चली आ रही मांग पूरी न होने से साधू संतो में सरकार के प्रति खासा आक्रोश व्याप्त है।
महर्षि पतंजलि न्यास के अध्यक्ष स्वामी भगवदाचार्य नेको यहां बताया कि गत वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर रिकार्ड संख्या में लोगों ने योग किया। महायोगी महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली आज भी विकास की बाट जोह रही है। उन्होंने कहा कि योग गुरू की पतंजलि योगपीठ सरकारों की उपेक्षा के कारण आज बदत्तर हाल में जर्जर पड़ी है। योग के प्रेरणा श्रोत महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली की बदहाली पर किसी का ध्यान नही है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को और भारत सरकार ने महायोगी पतंजलि का जन्मस्थान गोंडा को जो कि पूर्व मे गोनर्द के नाम से जाना जाता था माना है। उन्होंने कहा कि पतंजलि के जन्मस्थान के जीर्णोंद्धार के लिये कई बार सरकार से अनुरोध किया गया लेकिन योग का सम्मान करने वाले मोदी और योगी की सरकारों मे अभी तक यहाँ किसी प्रकार के विकास या जीर्णोंद्धार की कोई घोषणा व पहल तक नही की।
स्वामी भगवदाचार्य ने कहा कि जन्मभूमि कैसरगंज संसदीय क्षेत्र और तरबगंज विधानसभा क्षेत्र में स्थित है। दोनों सीटों पर सत्तारूढ़ दल भाजपा का कब्जा होने के बावजूद जनप्रतिनिधियों ने इस ऐतिहासिक स्थल पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसी प्रकार योगगुरू स्वामी रामदेव की पतंजलि योगपीठ ने भी कोडर गांव की ओर दृष्टि तक नही डाली है। पिछली सरकारों के नुमाइंदों ने कोडर गांव का दौरा कर सिर्फ घोषणाओ की खानापूर्ति की। हालाँकि पिछली अखिलेश सरकार ने जिले के कर्नलगंज तहसील क्षेत्र मे महर्षि पतंजलि सूचना प्रौधोगिकी एवं पालीटेक्निक कॉलेज का निर्माण शुरू कराया।
उन्होंने बताया कि कोडर गांव में स्थित झील की हालत बदतर है। यहाँ दूर दराज से आने वाले आगंतुकों के लिये कोई आश्रम या धर्मशाला ,स्वास्थ ,के लिये कोई सुविधा नही है। शुद्ध पेयजल ,विद्युत ,खानपान व अन्य तमाम संसाधनों का नामों निशान तक नही है। इस संबन्ध में केन्द्र व राज्य सरकारों को पत्र के माध्यम से कई बार न्यास समिति ने अनुरोध किया है।
स्थानीय संसाधनों को एकत्र कर स्वामी भगवदाचार्य के नेतृत्व मे आगामी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कोडर झील के किनारे योग शिविर का कार्यक्रम आयोजित कर संगोष्ठी करायी जाती है। मान्यताओ के अनुसार ,विक्रम संवत दो हजार वर्ष पूर्व श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को महर्षि पतंजलि ने गोनर्द की पावन धरती पर जन्म लिया। उनकी माता का नाम गोणिका था। वे व्याकरण महाभाष्य के रचयिता है। उन्हें ज्ञान और भक्ति की प्राप्ति कोडर झील के किनारे बैठ कर हुई थी।
शेषावतार माने जाने वाले पतंजलि त्रिजट ब्राह्मण थे। विद्वानों के अनुसार ,सूत्रकार ,वृत्तिकार और भाष्यकार त्रिजट ब्राह्मणों की तीन जटाओं के प्रतीक है। इस संबन्ध मे पतंजलि का अनोखा ‘ भाष्य ग्रंथ ‘ विश्व मे प्रचलित हुआ। इसकी शैली सर्वथा भिन्न होने के कारण इस शैली का दूसरा कोई ग्रंथ नही है। महर्षि ने काशी को बनारस के नागकुआ के पास अपनी कर्मभूमि बनायी। उन्होने अपने ग्रंथ महाभाष्य में स्वयं को कई बार गोनर्दीय कहा है।