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यूपी के इस जिले में टिड्डी दल के आने का खतरा, किये गये व्यापक प्रबंध

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के एक जिले और उसके आसपास के क्षेत्र में टिड्डी दल के आने का खतरा है। उत्तर प्रदेश के मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्र में टिड्डी दल की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने व्यापक पैमाने पर प्रबंध किये है।

यह जानकारी देते हुए डिप्टी डायरेक्टर कृषि घु्रवेन्द्र कुमार ने आज  यह जानकारी दी। उन्होंने बताया टिड्डी दल राजस्थान के कुछ भागों में आ चुका है तथा मथुरा की सीमा में भविष्य में इनके आने की आशंका है। इसे देखते हुए सीमा से सटे गांव में इसका व्यापक करें ,जिससे किसान उनसे निपटने के लिए पहले ही तैयारी कर लें।

उन्होंने बताया कि टिड्डी दल जिस क्षेत्र में बैठ जाता है वहां की केवल फसल को ही नुकसान नहीं पहुंचाता बल्कि उसके साथ साथ घास, फूल, पेड़ों की पत्तिया आदि को एक दम से साफ कर जाता है। बैठने वाले स्थान पर उनके अंडे देने की भी आशंका होती है । श्री कुमार ने बताया कि टिड्डी दल को भगाने का सबसे सरल उपाय यह है कि इस दल के आते समय लगातार शोर किया जाय और ढोल, कनस्तर, टीन के डिब्बे,नगाड़े, थाली, बरतन, घंटे घड़ियाल आदि बजाए जायं तो यह दल उस क्षेत्र में रूकने की जगह आगे बढ़ जाता है।

सुरक्षा की दृष्टि से क्लोरोपाईरीफास 20 प्रतिशत, क्यूनालफास 1़.5 प्रशित, फैनीट्राथियाने 50 ई सी या मैलाथियान 96 प्रतिशत, यूएलबी में से किसी एक रसायन को घोलकर फसलों में छिड़काव कराने की सलाह किसानों को दी गई है।

उन्होंने बताया कि इस संबंध में आज कृषि से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक कर दल से निपटने के लिए पांच सूत्रीय योजना भी बनाई गई तथा पंचायत अधिकारियों को और अधिक सतर्क रहने को कहा गया है। चूंकि बलुई मिट्टी टिड्डी दल के प्रजनन के लिए सर्वथा उपयुक्त होती है इसलिए किसानों से ऐसी मिट्टी को जुतवाने या उसमें पानी भराने की भी सलाह दी गई है। टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में क्लोरोपाईफास 20 प्रति ईसी अथवा लैमडासाई हैलोथ्रिन 5 प्रतिशत का तीव्र छिड़काव भी प्रभावकारी होता है। टिड्डी दल के आक्रमण की दशा में फरीदाबाद और लखनऊ के पते पर सूचना देने को कहा गया है साथ ही उपनिदेशक कार्यालय या नजदीक के सरकारी अधिकारी को सूचना देने की सलाह दी गई है।