नयी दिल्ली , दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालयों के लिए संकाय आरक्षण व्यवस्था पर यूजीसी के नये परिपत्र के विरोध में आज सामूहिक भूख हड़ताल की।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पांच मार्च को संकाय आरक्षण लागू करने के लिए एक नई व्यवस्था की घोषणा की , जिसके तहत आरक्षण की कुल सीटों की गणना संस्थान के बजाए विभाग के आधार पर की जा रही है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।यूजीसी ने कहा था कि आरक्षण का उसका नया फॉर्मूला इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पिछले साल अप्रैल में दिये गए निर्देश के आधार पर तैयार किया गया है।
ऐसा माना जा रहा है कि इस कदम से एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या में कटौती हो जाएगी। डूटा ने कहा कि शिक्षकों और छात्रों ने आज सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5.30 बजे तक ‘ पार्लियामेंट स्ट्रीट ’ पर सत्याग्रह और सामूहिक भूख हड़ताल में हिस्सा लिया। शिक्षक संघ ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस कदम को अमान्य करने के लिए एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है , जिसने विवाद को हवा दी है।
उसमें कहा गया , ‘‘ यदि यूजीसी यह अधिसूचना वापस नहीं लेती है , तो आरक्षण के माध्यम से सामाजिक न्याय प्रदान करने की सकारात्मक नीति एक दशक पीछे चली जाएगी।। एससी , एसटी और ओबीसी श्रेणियों के शोध छात्रों की एक पूरी पीढ़ी जो अकादमिक नौकरियों की प्रतीक्षा कर रही हैं , इस बेतुका आरक्षण – विरोधी फैसले से नौकरी की दौड़ से बाहर हो जाएगी। यह दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ शिक्षकों के बीच अराजकता पैदा करेगा।
डूटा ने यूजीसी और एचआरडी मंत्रालय को चेतावनी दी है कि अगर जुलाई में एक भी तदर्थ शिक्षक को हटाया गया तो दिल्ली विश्वविद्यालय का काम नए सत्र से पूरी तरह से ठप कर दिया जाएगा। एक जून को शिक्षक संघ की आम बैठक में इस संबंध में आगे के कदमों पर निर्णय किया जाएगा।