लखनऊ,योगी सरकार ने कुंभ मेले में इस पर रोक लगा दी है. योगी राज में हो रहे इस कुंभ मेले में सरकारी अमले ने अखाड़ों को पेशवाई और शाही स्नान समेत दूसरे जुलूसों में हाथी-घोड़ों को शामिल नहीं करने का फरमान सुना दिया है तो दूसरी तरफ नाराज़ साधू-संतों ने इसे परम्परा से खिलवाड़ बताते हुए जमकर विरोध करने का एलान कर दिया है. नाराज़ संतों ने यह सवाल भी उठाया है कि बकरीद पर कुर्बानी के लिए सरकारी संसाधन मुहैया कराने वाली योगी की सरकार को आखिर सनातनधर्मियों के कुंभ मेले में ही जानवरों पर अत्याचार की फ़िक्र क्यों हो रही है.
साधू-संतों के विरोध के बाद मेला प्रशासन अब बीच का कोई रास्ता निकालने की बात कहकर हाथी -घोड़ों पर लगी आग को ठंडा करने की कोशिशों को जुट गया है. कुंभ मेला शुरू होने में अभी तीन हफ्ते का वक्त बचा हुआ है, लेकिन मेले में एक के बाद एक कई विवाद खुलकर सामने आने लगे हैं. ताज़ा मामला कुंभ मेला प्रशासन द्वारा अखाड़ों की पेशवाई-शाही स्नान और नगर प्रवेश जैसे दूसरे जुलूसों में हाथी-घोड़ों के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगाए जाने के मामले को लेकर है.
अखाड़ों के पदाधिकारियों के साथ होने वाली को आर्डिनेशन बैठक में मेला प्रशासन ने जैसे ही वन्य जीव क्रूरता अधिनियम का हवाला देकर हाथी और घोड़ों के इस्तेमाल पर रोक का फरमान सुनाया, वहां मौजूद साधू -संत उबल पड़े. अफसरों की दलील दी थी कि जुलूसों में हाथी व घोड़ों पर अत्याचार होता है और यह क़ानून के खिलाफ है. नये नियमों के तहत जुलूसों में इन्हे शामिल किये जाने पर पाबंदी है. संतों ने हाथी -घोड़ों को सनातनी वैभव का प्रतीक करार देते हुए इसे परम्परा से जुड़ा हुआ बताया तो अफसरों ने भीड़ के दौरान भगदड़ मचने और पांटून पुलों को नुकसान पहुंचने की आशंका जताते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए.