सुप्रीम कोर्ट ने उच्च षिक्षण संस्थाओं से आरक्षण समाप्त करने के लिये कहा है। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस पी सी पंत की पीठ ने कहा कि वास्तव मे कोई आरक्षण होना ही नही चाहिये। अब समय आ गया है कि उच्च षिक्षा की गुणवत्ता मे सुधार किया जाये। उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाकर देषवासियों को सुविधा उपलब्ध करायी जाये। हम लोग अन्य लोगों की भावनाओं और इच्छा को दोहरा रहें हैं, ताकि अधिकारी स्थिति का निष्पक्ष होकर अनुमान लगायें। स्थिति से सही तरह से पेष आयें और देषहित को प्रमुखता दें। बेंच ने कई आदेषों का हवाला देकर सरकारी अधिकारियों को कहा कि छात्रों को विभिन्न तरह की छूट देने से बेस्ट कैंडिडेट की बेस्ट द्रेनिंग पर भी असर पड़ेगा।श्
दोनों जजों की पीठ ने कहा कि विषेषाधिकारों से हालात नही बदलें हैं। देष को आजाद हुये 68 साल हो गयें हैं, लेकिन वंचितों के लिये जो सुविधा उपलब्ध करायी थी उसमे कोई बदलाव नही हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह इस सम्बंध मे ऊचित कदम उठाये, क्योंकि देषहित मे ऐसा करना बहुत जरुरी हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पुरानी टिप्पणी का हवाला देते हुये कहा कि वह उच्च षिक्षा संस्थानों मे आरक्षण पर केन्द्र और राज्य को यही संदेष देना चाहतें हैं। आंध्र प्रदेष, तमिलनाडु और तेलंगाना चिकित्सा संस्थानों में सुपर स्पेष्यलिटी कोर्सेज मे प्रवेष को लेकर मानकों मे छूट दिये जाने को लेकर दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये सुप्रीम कोर्ट ने ये उद्गार व्यक्त किये।