नई दिल्ली, राष्ट्रद्रोह के आरोप में घिरे जवाहरलाल नेहरू विश्विविद्यालय के आरोपी उमर खालिद को जेएनयू से एक सेमेस्टर से निलंबित कर दिया है और जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है।जेएनयू की 5 सदस्यों वाली उच्चस्तरीय जांच कमेटी ने इनके अलावा रामा नागा पर 20 हजार रुपये का जर्माना लगाया, वहीं आशुतोष कुमार को एक साल के लिए हॉस्टल से निकाल दिया गया और साथ ही 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वहीं अनिर्बान भट्टाचार्य को 15 जुलाई और मुजीब गट्टू को दो सेमेस्टर के लिए निष्कासित कर दिया गया
है। फैसले के मुताबिक भट्टाचार्य पर अगले पांच साल में जेएनयू में कोई भी पाठ्यक्रम करने पर रोक लगाया गया है।
कमेटी ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसके मुताबिक 9 फरवरी की घटना में कुल 21 छात्रों को कमेटी ने कार्यक्रम और उसके दौरान हुई नारेबाजी का दोषी पाया है। इन 21 छात्रों में से दो पूर्व छात्र हैं।
उमर खालिद पर 20, 000 रुपये का जुर्माना भी लगा है
इस साल 9 फरवरी को संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की बरसी के मौके विश्विविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जहां विवादास्पद देश विरोधी नारे लगाए गए थे, जिसके बाद इन छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि इस गिरफ्तारी का देश के कई हिस्सों में छात्रों ने भारी विरोध किया है और कुछ हफ्तों बाद अदालत ने इन छात्रों को जमानत दे दी थी।
कमेटी ने कार्यक्रम को लेकर आपत्ति जताने वाले एबीवीपी सदस्य सौरभ शर्मा को आयोजन के दिन यातायात रोकने का ‘दोषी’ पाया और उन पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। आश्चर्यजनक है कि एक अन्य ऐश्वर्या अधिकारी पर भी उतना ही जुर्माना लगाया गया है, जबकि उनका नाम रिपोर्ट में नहीं था।
विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गवाही, वीडियो क्लिप्स देखने (जेएनयू सुरक्षा द्वारा प्रदान किया गया और फॉरेंसिक टेस्ट द्वारा सत्यापित), रिकॉर्ड पर दस्तावेजों की जांच के बाद उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने यह फैसला किया है।’ पांच सदस्यीय पैनल ने प्रशासन की तरफ से हुई भूल तथा आयोजन में बाहरी लोगों की भूमिका की ओर भी इशारा किया है। हालांकि किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है।
सूत्रों के मुताबिक जेएनयू मामले में दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट केंद्रीय गृहमंत्रालय को सौंपी थी, उसमें लिखा था है कि 9 फरवरी को शाम साढ़े चार बजे प्रमुख सुरक्षा अधिकारी नवीन यादव ने फोन किया था। उन्होंने जेएनयू विद्यार्थी परिषद के संयुक्त सचिव सौरभ कुमार के एक पत्र का जिक्र किया जोकि उन्होंने छात्र कल्याण विभाग के डीन को लिखा गया था। इस पत्र के साथ ही एक पोस्टर भी संलग्न था।
पोस्टर में लिखा गया था कि कश्मीरी लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों और आत्मसम्मान के लिए आवाज उठाने वाले अफजल गुरु तथा मकबूल भट्ट के सम्मान में 9 फरवरी शाम पांच बजे साबरमती ढाबे पर एक सांस्कृतिक शाम का आयोजन किया गया है, जिसमें आप आमंत्रित हैं।
पोस्टर में यह भी लिखा गया कि इस कार्यक्रम के दौरान एक फोटो प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है जिसमें कश्मीर पर नियंतत्र का इतिहास और लोगों के संघर्ष को दिखाया जाएगा। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने सिविल ड्रेस में सिपाही करमवीर और सिपाही धरमवीर को कैंपस में भेजा।
इसके बाद 9 फरवरी शाम सात बजकर पच्चीस मिनट पर पीसीआर को जेएनयू कैंपस में दो गुटों के बीच लड़ाई की कॉल मिली, जिसमें कहा गया कि कैंपस में तनाव की स्थिति बनी हुई है। कैंपस में और ज्यादा जवानों को तैनात किया जाना चाहिए। कॉल मिलने के बाद इंस्पेक्टर सनद सिंह रावत, सब इंस्पेक्टर मनोज, सब इंस्पेक्टर प्रदीप और सिपाही प्रतिमा कैंपस के लिए रवाना हुए।
वहां देखा गया कि कन्हैया और उमर खालिद करीब 80 से 90 लोगों की भीड़ का नेतृत्व करते हुए ढाबे की तरफ बढ़ रहे थे। वहीं सौरभ कुमार शर्मा भी करीब 40 से 50 लोगों के साथ आगे बढ़ रहे थे, जिनमें 10 लड़कियां भी थीं।
मामले की तहकीकात के बाद पुलिस ने आरोपियो की पहचान, अरिनबन, अंजलि अनवेश, अश्वति, भवन, कोमल, रियाज, रूबिना, उमर और समा के रूप में की है। उमर खालिद और कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है।
जेएनयू के वाइस चांसलर को भी देश विरोधी नारे लगाने वाले छात्रों के नामों की लिस्ट भेजी जा चुकी है और उनसे कहा गया है कि वो उन्हें पुलिस के सामने लेकर आएं।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि इस मामले की जांच के दौरान सामने आया है कि कैंपस में देश विरोधी नारे लगाए गए। साथ ही साथ अफजल गुरू और मकबूल भट्ट के समर्थन में भी नारेबाजी की गई।