सहारनपुर, सुस्त जीवनशैली, मोटापा एवं निजी अंगों में किसी भी तरह के लक्षण को नजरअंदाज करना महिलाओं में गर्भाशय कैंसर एवं पुरूषों में ब्लैडर (मूत्राशय) कैंसर के मामले बढऩे का सबसे अहम कारण बन रहा है। ऐसे में बढ़ती उम्र में महिलाओं एवं पुरुषों दोनों को अपने शरीर खासकर पेट का खास ख्याल रखना चाहिए।
सहारनपुर पहुंचे जाने माने गाइनी कैंसर रोग माहिर डा. श्वेता तहलन, डा. जितेन्द्र रोहिला एवं यूरोलॉजिस्ट डा. रोहित डडवाल ने कही। फोर्टिस अस्पताल के गाइनी कैंसर सर्जरी विभाग की कंस्लटेंट डा. श्वेता तहलन ने कहा कि बढ़ती उम्र की महिलाओं में गर्भाशय कैंसर बढ़ रहा है, यदि समय रहते जांच न करवाई जाती तो मरीज की जान पर भी बन सकती है, इसलिए लक्षण दिखाई देते ही जांच करवाना लाजमी है।
उन्होंने बताया कि उम्रदराज महिलाओं में कैंसर तेजी से फैलता है, लेकिन इसके शुरूआती लक्षणों से इसकी पहचान की जा सकती है। महिलाओं में अनियमित पीरियड रक्तस्राव और गंदे पानी का आना इसके शुरूआती लक्षण है, यह लक्षण जैसे ही दिखाईं दे तो उसकी तुरंत जांच करवाएं।
फोर्टिस अस्पताल में यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी विभाग के कंसल्टेंट डा. रोहित डढवाल ने बताया कि अमेरिका में रहने वाले एक 70 वर्षीय व्यक्ति को बार-बार यूरिन करने में दर्द, यूरिन में खून (हेमट्यूरिया) के साथ-साथ तीव्र पेल्विक दर्द का अनुभव हो रहा था। जांच करने पर प्रोस्टेट कैंसर और बाएं रीनल ट्यूमर का पता चला। यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दोहरी घातकता की घटना अत्यंत दुर्लभ है। रोगी अमेरिका व भारत में कई अस्पतालों में इलाज करवा चुका था। मरीज की गहनता से जांच कर रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी (प्रोस्टेट ग्रंथि को पूरी तरह से हटाने) के साथ-साथ रोबोट-अस्सिटिड रेडिकल नेफरेक्टोमी (किडनी को पूरी तरह से निकालना) सर्जरी से प्रोस्टेट कैंसर व किडनी टयूमर को हटा दिया गया।
उन्होंने कहा कि प्रोस्टेट कैंसर एवं किडनी टयूमर का एक साथ मिलना दुर्लंभ था, खासकर इस केस में अन्य अंगों तक इसका प्रभाव नहीं पहुंचा था। मरीज के दोनों टयूमर मूल अंग तक सीमित होने के कारण पैथोलॉजी को पूरी तरह से हटाने एव उसे कैंसर मुक्त करने का अवसर था। इस केस में ओपन या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करना चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि आप्रेटिव एरिया काफी छोटा होता है और इसमें ज्यादा एनेस्थीसिया समय लगता है, जिसमें अधिक रक्त हानि एवं अधिक जटिलताएं होती हैं। सर्जरी के अगले दिन ही मरीज चलने के काबिल था तथा जांच करने के बाद मरीज पूरी तरह से अब स्वस्थ जीवन जी रहा है।
डा. जितेन्द्र रोहिला ने बताया कि पाचन तंत्र में गड़बड़, पेट में सूजन, गैस व कब्ज होना आम बात है। उन्होंने बताया कि यदि ऐसे लक्षणों को अनदेखा किया जाता है, तो यह पेट के कैंसर का कारण बनता है। ऐसे कई मामलों में पीडि़त व्यक्ति छोटे से टयूमर से कैंसर की चौथी स्टेज तक पहुंच जाते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में लो-लाइंग रेक्टल कैंसर (गुदा कैंसर) से पीडि़त 71 वर्षीय मरीज का रोबोट-एडेड स्फिंक्टर सेविंग सर्जरी से इलाज कर उन्हें कैंसर से निजात दिलाई तथा साथ ही उन्हें ताउम्र लगने वाले स्टोमा बैग (शरीर में छेद के जरिए मलमूत्र एकत्रित करता प्लास्टिक बैग) से भी राहत मिली है।
उन्होंने बताया कि उक्त मरीज मलाशय में रक्तस्राव, बावल हैबिट (आंत में बदलाव) व कम भूख के कारण चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा था, जिसकी जांच करने में वह लो-लाइंग रेक्टल कैंसर की थर्ड स्टेज से पीडि़त था। उन्होंने बताया कि अस्पताल के टयूमर बोर्ड के साथ चर्चा उपरांत डा. रोहिला द्वारा रोगी की रोबोट-ऐडेड स्फिंक्टर-सेविंग सर्जरी की गई, जिसके उपरांत वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं तथा सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है।
चिकित्सक ने बताया कि पहले ओपन सर्जरी उपचार के दौरान शरीर के ऐसे अंगों तक पहुंचना मुश्किल और खतरनाक था, हालांकि रोबोट से की जाने वाली सर्जरी की मदद से इन अंगों तक भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। विशेष कैमरे के माध्यम से ऑपरेटिव एरिया का 3डी व्यू देखकर 360 डिग्री तक घूमने वाले रोबोट की मदद से वहां पहुंच की जा सकती है।