नई दिल्ली, कॉलेजियम सिस्टम के तहत जजों की न्युक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह नही चलेगा। सरकार को अगर कॉलेजियम से भेजे गए नामों पर आपत्ति है तो कोर्ट को बताए लेकिन उसे दबा कर ना बैठ जाए। मामले पर अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी। अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए 18 नाम भेज दिए हैं। लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा ही ढीला ढाला रवैया रहा तो सुप्रीम कोर्ट को सेक्रेट्री जस्टिस और सेक्रेट्री पीएमओ को तलब करना पड़ेगा।
मुख्य न्यायाधीश ने मामले पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार को अपना ढ़ीला रवैया छोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के हालात बहुत ही खराब हैं। जज न होने की वजह से कर्नाटक हाईकोर्ट का कोर्ट रूम बंद होने की कगार पर है। सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कदम उठाने होंगे। किसी भी हालात में नियुक्ति बंद नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एडवोकेट जनरल से मौजूदा स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा क्या आप न्यायाधीशों की नियुक्ति बंद कराना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा वर्तमान में राज्य हाई कोर्ट की वास्तविक ताकत 60 फीसद कम है। बेंच ने कहा, एक वक्त था जब वहां जज इतने अधिक थे कि कोर्ट रूम की संख्या कम पड़ती थी और अभी जजों की नियुक्ति न होने के कारण रूम बंद पड़े हैं।